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समय - Rishi Ranjan (Sahitya Arpan)

कविताअतुकांत कविता

समय

  • 210
  • 3 Min Read

शीर्षक :- समय

लोगों का मान बढ़ाता भी है समय
लोगों का मान घटाता भी है समय

अपनों से मिलाता भी है समय
अपनों को छुड़ाता भी है समय

प्रेम करवाता भी है समय
नफरत भी सिखलाता है समय

समय में कितनी शक्ति है
ये भी बस बताता है समय

समय का कैसा खेल है
खुद भी न जान पाता है समय

जो समय को समय न समझें
उसे समझ भी दिलाता है समय

समय के आगे नतमस्तक हूँ
फिलहाल यही समझने का है समय ।

समय बहुत शक्तिशाली है
फिर लौटकर न आता है समय ।

मैं भी बँधा हूँ, जग भी बँधा है
सभी को अपने वश में बाँध रखा है समय ।

ऋषि रंजन
दरभंगा (बिहार)

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Ankita Bhargava

Ankita Bhargava 3 years ago

'लोगों का मान बढ़ाती भी है समय' के स्थान पर 'लोगों का मान बढ़ाता भी है समय' ऐसे कर लें

Ankita Bhargava

Ankita Bhargava 3 years ago

आपकी रचना बहुत अच्छी है किंतु समय स्त्रीलिंग नहीं है पुल्लिंग है

Rishi Ranjan3 years ago

प्रोत्साहन एवम् सुझाव के लिए बहुत-बहुत शुक्रिया मैडम ।

वो चांद आज आना
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तन्हाई
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