कहानीलघुकथा
" शेरनी "
" हेलो,हेलो !!! आर्मी हेडक्वार्टर , जी मैं,, मैं,,मैं मिसेस संजना देसाई, मेरे पति मेज़र आयुष देसाई का आतंकी गतिविधियों से सम्बंध हैं। वो अभी एअरपोर्ट के लिए निकले हैं।" कहते हुए संजना सोफ़े पर पड़ गई। कितने शौक से कर्नल पिता ने बेटी के लिए ऐसा लायक पति ढूँढा था। वह भी कितनी खुश थी। बेटा व बेटी से परिवार पूर्ण हो गया था। किंतु पति की संदिग्ध हरक़तों ने उसे जासूसी करने को मज़बूर कर दिया। आधी रात में घण्टों तक बातों का डिटेल पता लगने पर लेपटॉप खंगाला। चौकाने वाली जानकारियों ने उसके ज़मीर को झकझोर दिया। वह इसकी छाया भी बच्चों पर पड़ने देना नहीं चाहती।
सारे सपनें काफ़ूर हो गए। वह अपने ससुर से सब बातें साँझा करती है।
वो दिलासा देते हैं," ये तुमने बहुत अच्छा किया बेटा। लेकिन आयुष की माँ,,, एक माँ होकर कभी भी यह हादसा किसी हालत में सहन नहीं
कर पाएगी। बेहतर यही होगा कि इन हालातों में तुम बच्चों को लेकर यहाँ आ जाओ। "
वाकई धरपकड़ की सरगर्मियों के चलते आयुष अंडरग्राउंड हो जाता है। संजना ससुर जी के साथ बेसब्री से समाचार देख रही है, " मि आयुष के सम्बन्ध में तहक़ीक़ात के बाद आज आर्मी कोर्ट उन्हें दोषी घोषित करती है। पत्नी संजना देसाई को आर्मी स्कूल में नौकरी देने की सिफ़ारिश की जाती है। जब तक दोनों बच्चे बालिग़ नहीं हो जाते , आयुष की पगार परिवार को मिलती रहेगी। संजना जैसी शेरनी पत्नी ही एक आदर्श माँ बन सकती है।"
सरला मेहता