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मन क्यों बहके रे बहके - Abasaheb Sarjerao (Sahitya Arpan)

कविताअन्य

मन क्यों बहके रे बहके

  • 243
  • 4 Min Read

मन क्यों बहके रे बहके तेरी चाहत में ?
मिले ख़ुशी तुझे देखे बगैर तेरी आहट से
क्यों तेरा हर वक्त इंतजार रहता हैं ?
तू आएगी जरुरी दीवाना दिल कहता हैं

मेरे मन सुन ले पुकार उस भविष्य की जो
हर वक्त वर्तमान में ढूंढना पड़ता हैं
जो हुवा सो हुवा अब आगे भी तो बढ़ना हैं
तू क्या जाने तेरा दूसरा नाम हैं पागलपन

मेरे मन तू क्यों हैं इतना चंचल , लचीला
मतलब की बाते, दुनियादारी तू न जाने
जानेवाले वापस नहीं आते कभी यार
सिर्फ अपने सपने क्यों बुनते रहते हो ?

मन क्यों बहके रे बहके छोड़ के खुशियों को
बीती बाते ,वो गीले शिकवे क्यों याद आते हैं ?
क्यों नहीं होता तू कप्म्यूटर जैसा अपडेट ,रिफ्रेश ?
सिर्फ कमांड लेले छोड़ प्यार ,वफ़ा ,मोहब्बत यार

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Abasaheb Sarjerao

Abasaheb Sarjerao 3 years ago

thanks all

Champa Yadav

Champa Yadav 3 years ago

बढ़िया...

Ankita Bhargava

Ankita Bhargava 3 years ago

बढ़िया

प्रपोजल
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