कहानीसामाजिकलघुकथा
दुल्हन -
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मेरी छोटी सी लाड़ो ससुराल जायेगी दुलहन बनेगी । वह दादी का मुंह देखती रहती । कृति को ये बात समझ नहीं आती थी । वह अभी बहुत छोटी थी । दादी की का प्राण थी, बहुत लाड़ली । कृति के मां बाप दुर्घटना में चल बसे थे । बेटे बहु के जाने के बाद पूरी जिम्मेदारी कृति की दादी ने अपने कंधो पर लेली थी ।संयुक्त परिवार में था । वह नहीं चाहती थी कि और बहुयें और बेटे उससे दुर्व्यवहार करें । वह पढा़ई में बहुत होशियार थी । धीरे धीरे दादी बूढ़ी हो रही थी और वह जवान दादी की हार्दिक इच्छा थी कि वह अपने हाथों उसको डोली में बैठा कर विदा करदें ।
पर कृति का एक ही सपना कि वह पढ़ लिख कर किसी सरकारी ओहदे पर नियुक्त हो जाये । जिससे वह आत्म निर्भर बन जाये । अपना और अपनी दादी निर्वाह आराम से कर सके । सुविधाओं का अभाव था ।उसके बावजूद भी उसने हिम्मत नहीं हारी और वह बहुत मेहनत करके अच्छी सर्विस में पहुँच गयी । दादी बार बार सबसे कहती कोई अच्छा घर मिल जाये तो वह इसके हाथ पीले कर दें उनकी लाड़ो दुल्हन बन कर विदा हो जाये । सबने उसके लिये सम्बन्ध तलाशने शुरू किये । उसी के स्तर का लड़का अमन उनको पसंद आया । अमन के घर वालों ने कृति को देखा और पंसद कर लिया । हैसियत के हिसाब से दादी के कहने पर घर वालो ने कृति की शादी करदी । बहुत से सपने लेकर कृति ससुराल पहुंच गयी । दादी बहुत खुश की उनकी लाड़ो दुलहन बन कर विदा होगयी ।
ससुराल पहुँच कर चार दिन बाद ही कृति को दहेज के लिये प्रताड़ित किया जाने लगा । वह घर पर भी किसी से कह नहीं पा रही थी । बिना मां बाप की बच्ची दादी से कैसे कहे । आज पग फेरे की बिदा कराने जब उसके चाचा पहुँचे तब देखा कृति को घर वालों ने कहा कि चाय बनाने में इसके पल्लू में आग लग गयी हम बचा नहीं पाये दिय और आपको सूचना भी नहीं दे पाये । चाचा ने घर वालों को और पुलिस को सूचना दी पर जब तक सब खत्म हो चुका था । दादी की लाड़ो के सपनों का अन्त । दादी के सामने लाड़ो दुलहन बनी शान्ति से सो रही थी ।
स्वरचित
डा. मधु आंधीवाल एड.
अलीगढ़