कवितालयबद्ध कविता
लेखनी....
लिख रही हूँ मैं तुझे
पर लेखनी नहीं है तू मेरी....
लिखकर अधूरा छोड़ दूँ
यह चाहत भी नहीं है मेरी....
कोई अपशब्द ना आए तेरी राहों में
हरपल तुझे शब्दों से यूँ सँवारती रहूँ....
शब्द कभी कम ना पड़े, यूँ तेरी
कोरे पन्नों को मोतियों से चमकाती रहूँ....
बस इतनी सी ख्वाहिश है मेरी
तू लेखनी और मैं तेरी लेखिका बन जाऊँ....!!!
@चम्पा यादव
३/१२/२०