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याद करने का हुनर सीख लिया - Sarita Singh Singh (Sahitya Arpan)

लेखअन्य

याद करने का हुनर सीख लिया

  • 138
  • 13 Min Read

नमन मंच साहित्य अर्पण
प्रतियोगिता हेतु रचना दिनांक 25/11/2020
विषय: आप भी कुछ रख कर भूल जाते हैं

*****लघु कथा********

चीजें रख कर भूलने की आदत तो मेरी पुरानी थी हर काम की जल्दबाजी से रहती बीते वर्ष टीईटी की परीक्षा में असली प्रमाण पत्रों की मांग की गई थी परीक्षा की तैयारी बहुत अच्छे से की कागज पत्थर रख लिए एक फाइल में ओरिजिनल और एक फाइल में फोटो कॉपी 11:00 का समय था और मुझे 9:00 बजे से ऐसा लग रहा था कि देर हो रही है हमसे बार-बार कहती जल्दी चलो देर हो जाएगी और यह बार-बार तोते देखो सामान रख लो कुछ भूल मत जाना सेंटर दूर पड़ा है दौड़ कर फिर ना ना पड़े और मैं बड़े आत्मविश्वास से चलिए आपकी तो टोकने की आदत है सब रख लिया है मैंने हम दोनों गाड़ी से परीक्षा केंद्र पर चल दिए अभी 10:00 ही बजे थे हम पहुंच गए सभी परीक्षार्थी गेट खोलने का इंतजार कर रहे थे तभी घोषणा हुई सभी परीक्षार्थी अपना-अपना प्रमाण पत्र लेकर जांच काउंटर पर आ जाएं और एक लाइन बना ले अभी लाइन में खड़ी हो गई मेरी बारी आ गई जांचकर्ता ने सारे कागजात मांगे मैंने झोले में से निकाल कर बड़े आत्मविश्वास से दिखाएं की सर बोल पड़े यह क्या है असली प्रमाण पत्र कहां है मेरे पैरों के नीचे तो मानो जमीन नहीं।
परीक्षा के लिए थोड़ा ही समय शेष रह गया था ऐसे में असली प्रमाण पत्र का ना मिलना अब क्या होगा मैं रोने लगी गार्ड ने मुझे पीछे हटने और बाहर जाने का इशारा किया मैं गेट के बाहर आ गए पतिदेव को बात समझ में आ गई थी कि शायद मैं फिर कुछ भूल गई हूं सेंटर घर से 6 किलोमीटर दूर था पतिदेव ने हार ना माने तीव्र गति से गाड़ी चलाते हुए घर गए रास्ते में काफी जाम मिला होगा आने में समय लग रहा था सभी परीक्षार्थी लगभग परीक्षा कक्ष में प्रवेश कर चुके थे और मैं गेट पर खड़ी होकर फूट-फूट कर रो रही थी मन में पछतावा कि अगर आज ही परीक्षा ना दे पाऊंगी तो मेरी सारी तैयारी व्यर्थ जाएगी इतने में गेट बंद करने का निर्देश अंदर से आ गया मैं गेट से बाहर जा ही रही थी तब तक पतिदेव को हाथ में एक फाइल आते देखामैं दौड़ कर उनके पास गई वही फाइल थी जो चाय पीते वक्त टेबल पर छूट गई थी 2 मिनट का समय शेष था मैं दौड़ कर दुबारा से जांचकर्ता के पास पहुंची सर यह रहे मेरे असली प्रमाण पत्र पर आप इतना देर से क्यों ???
सर मैं 10:00 बजे ही आ गई थी पर जल्दबाजी में अपने प्रमाण पत्र घर पर छोड़ आई मुझे माफ करिए जनता को मुझ पर दया आ गई 2 मिनट का समय शेष था परीक्षा शुरू होने में उन्होंने मुझे परीक्षा कक्ष में प्रवेश करा दिया परीक्षा बहुत अच्छी हुईपरीक्षा हाल से बाहर निकल कर मैंने पतिदेव का हाथ कस कर पकड़ लिया मेरी आंखों में आंसू भर आए और मैंने वादा किया कि अब मैं कभी जल्दबाजी नहीं करूंगी हर काम धैर्य के साथ करूंगी।

वह दिन मेरे लिए एक सीख भरा था शिक्षक बनने जा रही थी अगर मेरी भूलने की आदत ऐसी ही रहती तो मैं अपने विद्यार्थियों को भला क्या याद करा पाती।
घटना ने मुझे बदल कर रख दिया तब से आज तक मैं कभी कुछ ना भूली।

स्वरचित सरिता सिंह
गोरखपुर उत्तर प्रदेश

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Ankita Bhargava

Ankita Bhargava 3 years ago

यह संस्मरण है

Sarita Singh Singh3 years ago

जी मेरे जीवन का एक किस्सा

समीक्षा
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