Help Videos
About Us
Terms and Condition
Privacy Policy
"एक बूंद प्यार की बरसात" (भाग-1) - Poonam Bagadia (Sahitya Arpan)

कहानीप्रेम कहानियाँ

"एक बूंद प्यार की बरसात" (भाग-1)

  • 515
  • 18 Min Read

शीर्षक : "एक बूंद प्यार की बरसात" (भाग 1)

हैल्लो सरु..!

मैंने उसके कॉल रिसीव करते ही बोला
जी..! वहाँ से असमंजस स्वर फूटा
अरे भोन्दू राम मैं बोल रही हूँ ... आकांक्षा..!
मेरा नाम सुनते ही उसकी आवाज़ में खुशी की खनक साफ सुनाई देने लगी थी!

कॉलेज खत्म हुये आज पूरे पाँच साल हो चुके थे!
सभी दोस्त अपनी अपनी ज़िन्दगी में रमने से लगे है अब! कभी किसी की याद आती तो यदाकदा फोन पर ही बात कर लेते, पर कभी सरु से बात नही हो पाई, न उसने कभी फोन किया न मैंने ही जरूरत समझी!
हम सभी जानते थे सरु कॉलेज में किसी को पागलो की भांति पसंद करता था, पर अपने शर्मीले स्वभाव के चलते कभी उजागर नही किया कि वो कौन थी..? और ये रहस्य आज भी हम दोस्तो के बीच रहस्य ही बना हुआ है! फिर हम लोगो मे से किसी ने इस भौंदू राम की प्रेम कहानी में दिलचस्पी भी नही दिखाई!

क्योंकि इस व्यस्त दिनचर्या में सभी व्यस्त जो हो चुके थे!

इतने दिनों बाद कैसे याद आई...?
सरु ने कुछ शिकायती लहजे में बोला!
तुम्हे शादी का निमंत्रण-पत्र जो देना था! अपना पता बताओ मैं आ रही हूँ..! कह कर मैं हँस पड़ी

अच्छा..! बोल कर वो बिल्कुल शांत सा हो गया...!

कुछ क्षणों की खामोशी के उपरांत वो जैसे खुद को संभालता हुआ बोला...
ओके... मेरा पता नोट करो...!

पता लिख कर मैं उससे अपनी कॉलेज की पुरानी यादें ताज़ा करना चाहती थी पर उसने जल्दी से कॉल डिस्कनेक्ट कर दिया!
शायद वो जल्दी में था!
मैं भी बिना किसी बात पर ध्यान दिए अपने दिनचर्या के काम समाप्त करने में जुट गई!
जल्दी से फारिग हो कर हमें सरु के घर के लिए निकलना जो था!

करीब चार बजे दरवाजे पर दस्तक हुई तो मैं लगभग भागती हुई गई, क्योंकि मुझे दिव्या का इंतजार था, जो मेरे साथ सरु के घर जाने वाली थी!
दरवाजा खोला तो सामने दिव्या ही थी!
कितनी देर कर दी तूने..! चल बैठ मैं कॉफ़ी बना कर लाती हूँ तेरे लिये..!
नही..!
उसने अंदर आते हुए कहा

"आज सरु के हाथ की कॉफ़ी पियेंगे ..! वो चंचल मुस्कान लिऐ बोली !
आज मौसम बहुत सुहाना है बारिश हो सकती है!
ह्म्म्म.. तो छाता साथ ले लेती हूँ..!
मैंने आईने के सामने अपने बालों को ठीक करते हुऐ कहा!
ओहहो अच्छी लग रही है, चल ना जल्दी..!
दिव्या की आतुरता देख कर मन मे दबे भौंदू राम की छिपी प्रेम कहानी स्पष्ट सी होने लगी थी!

कुछ समय पश्चात हम उसके घर पर थे!
दिव्या का बार बार बेल बजाना उसकी सरु से मिलने की आतुरता को उजागर कर रहा था!
थोड़ी देर बाद जिसने दरवाजा खोला, उसे देख कर मैं आश्चर्य से उसे अपलक निहारती रह गई!
क्या ये सरु है..? कॉलेज का दुबला पतला शर्मिला सा भौंदू राम, आज का आकर्षित, गठीला जवान लग रहा था! उसके बिखरे से बाल आंखों पर चढ़ा चश्मा, होंठो पर मद्धिम मुस्कान !
तुम लोग ऊपर टेरिस पर चलो!
आज मौसम का लुफ्त उठायेगे अपने कॉलेज के दिनों जैसे..!
कह कर वो सीढ़ियां चढ़ने लगा उसके पीछे हम भी किसी आज्ञाकारी बच्चों की भांति चल दिये!

छत व्यवस्थित थी एक तरफ झूला लगा था! उसके पास ही एक छोटी सी टेबल और चार आकर्षित कुर्सी रखी थी! टेबल पर रखा कॉफी का खाली मग और उसकी डायरी सरु की चुगली खा रहे थे कि आज बादल छाए आसमान के नीचे सरु बारिश के इंतजार में या किसी के प्यार में कुछ लिखने की कोशिश कर रहा था!

"तुम बैठो मै तुम्हारे लिए कॉफी और कुछ खाने के लिए लाता हूँ..!
सरु ने झूले की ओर बैठने का इशारा किया और नीचे जाने के लिए मुड़ गया!
सरु रुको.... मैं तुम्हारी किचन में हैल्प करती हूँ..! खुशी से चहकती दिव्या सरु के साथ चलने लगी!
एक रहस्यमयी मुस्कान से दोनो को देख कर,
मैंने एक नज़र आसमान पर डाली काले मेघ शरारती हवाओ संग अठखेलियाँ करते प्रतीत हो रहे थे!
मैं एक गहरी सांस छोड़ कर झूले पर बैठी और इधर उधर देखने लगी सहसा मेरी नज़र टेबल पर रखी सरु की डायरी पर पड़ी!
मैंने उत्सुकता वश वो डायरी उठा कर खोली, उस पहले पन्ने पर चिपकी काली बिंदी भौंदू राम की प्रेम कहानी उजागर करती प्रतीत हुई और मुझे नीचे लिखे शब्दों को पढ़ने के लिए बाध्य करने लगी....!

क्रमशः

©️पूनम बागड़िया "पुनीत"
(नई दिल्ली)
स्वरचित मौलिक व अप्रकाशित रचना

Screenshot_20200807-002225_1596740102112_1596859219498_1596859917.jpg
user-image
Sudhir Kumar

Sudhir Kumar 3 years ago

विलक्षण

दादी की परी
IMG_20191211_201333_1597932915.JPG