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इक उजाले का नयन में आस होना चाहिए - Dr. Rajendra Singh Rahi (Sahitya Arpan)

कवितागजल

इक उजाले का नयन में आस होना चाहिए

  • 163
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ग़ज़ल....

इक उजाले का नयन में आस होना चाहिए
ज़िन्दगी जीने के लिए खास होना चाहिए...

है सही किस्मत सभी की एक सी होती नहीं
शीर्ष पाने का मगर उल्लास होना चाहिए...

बस परीक्षा बैठना काफी नहीं होता यहाँ
है जरूरी की परीक्षा पास होना चाहिए...

सदगुणों पर भाषण का दौर यूँ चलता रहे
पर बसे मन दुर्गुणों का नाश होना चाहिए...

जल्दबाजी में किसी को संत यूँ कहना नहीं
संत बनने के लिए रैदास होना चाहिए....

खो गयी इंसानियत है आज गर इंसान से
वह मिलेगी जल्द ही विश्वास होना चाहिए ...

ख्वाहिशें जिनकी अभी उड़ना गगन में शेष हैं
मुक्त फिर उनके लिए आकाश होना चाहिए...

है हमारा हक नहीं होती समस्या हल अगर
शांतिपूर्ण ढंग से ही भड़ास होना चाहिए...

देश में रहकर करे जो बात दुश्मन की सुनो
उनके तन पर बेड़ियां लिबास होना चाहिए...

डाॅ. राजेन्द्र सिंह राही
(बस्ती उ. प्र.)

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Sudhir Kumar

Sudhir Kumar 3 years ago

चैतन्यपूर्ण

Sudhir Kumar

Sudhir Kumar 3 years ago

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