कविताअतुकांत कविता
कोरोना से डरो ना
कभी हुआ था प्लेग से
पूरा विश्व ही भयाक्रांत
दैत्य कोरोना छा गया
कोने कोने का हरेक प्रांत
पूरी ही दुनिया त्रस्त है
नहीं है कोई भी विकल्प
ईश कृपा पर है निर्भर
कब कैसे तूफां होगा शांत
डॉक्टर्स नर्स सेना पुलिस
बने है सबके सच्चे पहरेदार
घर में रहो सबसे दूर रहो
सुनो क्या कहती है सरकार
बचो और बचाओ सबको
हम पर ही है सारा दारोमदार
हर नागरिक बने जिम्मेदार
यह कहता अपना चौकीदार
स्वच्छ रहो सफाई रखो
लो दूध में उबले छुहारे
जल वाष्प मुंह नाक से लो
नमक पानी के गर्म गरारे
घर का सादा भोजन खाओ
नमक शकर के पारे करारे
नज़ला खांसी से दूर ही रहो
तभी जीवन में आएगी बहारे
चंग पो चौपड़ व शतरंज
परिवार संग वक्त गुज़ारो
पूजा पाठ व यज्ञ आहुति
वातावरण को शुद्ध करो
बच्चों को संस्कारित कर
समय का सदुपयोग करो
हम बचेंगे तो देश बचेगा
कोरोना से न डरो न हारो
घर बैठे बैठे अब क्या करें
कुछ दान पुण्य कर लेते हैं
अपने घर के सब सेवक जन
कैसे हैं? कुछ सुध ले लेते हैं
राशन पैसे और दवाई
उनको भी थोड़ा दे देते हैं
ये खाली वक्त बिताने को
थोड़ा प्राणायाम कर लेते हैं
सरला मेहता