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फिर कब मिलोगे - Madhu Andhiwal (Sahitya Arpan)

कहानीलघुकथा

फिर कब मिलोगे

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फिर कब मिलोगे
रुचि खिड़की में खड़ी सोच रही थी आज पांच साल होगये विभू को गये हुये । एक बार भी उसने लौट कर नहीं देखा पर उससे क्या शिकायत गलती तो मेरी ही थी। मैने कहां कोशिश की कि जो गलत फहमियां हम दोनों के बीच पनप गयी उनको दूर करले ।
रुचि और विभू साथ पढ़ते थे । विभू रुचि की सहेली मनु का भाई था । कब कैसे दोनो एक दूसरे के करीब आते गये । उनके चर्चे तो कालिज में भी होने लगे । दोनों एक दिन भी एक दूसरे के बिना रह नहीं पाते थे । दोनों को डर था कि उनके घर वाले शायद इस सम्बन्ध को इजाजत ना दें । उन दोनों ने तय कर लिया था कि पढ़ाई पूरी करके अपने पैरों पर खड़े होकर ही कुछ निर्णय करेगे ,पर अचानक ऐसा मोड़ आगया कि गलत फहमियो के कारण सब कुछ बिखर गया । विभू के घर विभू की मम्मी की सहेली की बिन्दास बेटी का आना उसका नाम था चांदनी , बहुत स्मार्ट और खुले विचारों की लड़की वह सारे समय विभू के साथ रहती थी । रुचि ने धीरे से विभू से कहा भी कि इसका व्यवहार मुझे पसंद नहीं विभू ने कहा ऐसा कुछ नहीं ये चली जायेगी दिन से विभू उखड़ी उखड़ी बात कर रहा था । रुचि ने बहुत पूछा तब उसने बताया कि मां इससे मेरी शादी करना चाहती हैं पर मै नहीं । रुचि को बहुत धक्का लगा । उसने विभू से मिलना बन्द कर दिया । विभू ने बहुत कोशिश की पर रुचि ने बात नहीं
की । एक दिन विभू मिलने आया पर रुचि ने मिलने से मना कर दिया विभू बोला रूचि तुम बहुत पछताओगी जब मुझे पुकारोगी मै तुम्हे नहीं मिलूगा और वह कह कर चला गया । पांच साल से उसका कहीं पता नहीं था ।आज अचानक मनु ससुराल से अपने मायेके आई वह रुचि से मिली झिझकते हुये उसने विभू के बारे में पूछा मनु पागलों की तरह उसे देखने लगी बोली तुझे कुछ नहीं पता रुचि बोली नहीं किससे पता लगता विभू ने तो बात करना ही छोड़ दिया । मनु एक दम से उससे लिपट कर रो दी बोली बात तो वह जब करता अगर इस दुनिया में होता । उसे विदा हुये चार साल होगये वह बाहर चला गया था बहुत तनाव में था एक दिन उसने बहुत सारी नींद की गोली खाली और दुनिया को अलविदा कर दिया । रुचि पागलों की तरह देख रही थी बार बार उसके आखिरी शब्द गूंज रहे थे तुम मुझे पुकारोगी मैं तुम्हें नहीं मिलूगा ।
आज रूचि सोच रही थी फिर कब मिलोगे मुझे ।
स्व रचित
डा.मधु आंधीवाल

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Kamlesh  Vajpeyi

Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

मर्मस्पर्शी

Madhu Andhiwal3 years ago

Thanks

दादी की परी
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