कविताअतुकांत कविताअन्य
मां की ममता--
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क्यों जन्म लिया ,
तुमने मेरी कोख से,
किसी को ना तुम्हारी ,
चाह थी ना लालसा,
बस मैं ही चाहती थी ,
तुम आओ मेरी कोख में,
मैं करू तुमसे जी भर कर प्यार,
जीऊ तुम्हारे साथ बीते हुये दिन,
दुनिया में आकर ऐ कली,
तुम अपने को बचा कर रखना,
मैं हमेशा तुम्हारे साथ नहीं रहूंगी,
जब तुमने जन्म लिया ,
धन्य हो गया जीवन मेरा,
कूट ली छाती तुम्हारे,
जन्म दाता ने कहने लगा,
एक और बोझ बड़ा दिया ,
मेरे कन्धों पर,
फैंक आया तुम्हें एक,
कचरे के डिब्बे में,
पता ना कौन तुम्हें ले जायेगा,
क्या पता बनायेगा अपने
घर की शोभा या,
बैठायेगा किसी कोठे पर,
उसने तो चाहा था ,
तुम्हें कोख में ही मारना,
क्योंकि बहुत निष्ठुर है संसार,
हे ईश्वर ना बनाता नारी को मां,
ये कार्य सौंपता बेदर्द नर को....
स्व रचित
डा.मधु आंधीवाल