कवितालयबद्ध कविता
चाँद का दीदार
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उस चांद की चांदनी भी फीकी पड़ जाएं ...
अगर एक नजर मेरे चांद पर पड़ जाए ...
चाँद तो रोज निकलता है,लेकिन रोज कहां कोई चाँद का दीदार करता है।।
जब होता हैं चाँद का दीदार तब यह चाँद दिल को घायल करता है।।
करवा चौथ का चाँद हैं, जरूर कोई खास बात है। चाँद के दीदार की रात है,आज एक चाँद को चाँद का इंतजार हैं।।
चाँद ने आज बिखेरी हैं चांदनी के साथ मिलकर प्यार की रोशनी।
आज चाँद के जैसी सजी हैं,एक साजन की सजनी।।
ओढ़कर लाल चुनरी,पिया के रंग में रँगी हैं सजनी।।
पिया के नाम की मेहंदी लगाकर ,दिल मे हजारो अरमान जगाकर।।
पायल की छनछनकार से दिल की धड़कन को बढ़ाती हैं
रंग बिरंगी चूड़ियां की खनखन से नींदें उड़ाती हैं।
हर जन्म में पिया का प्यार मिले, जन्म जन्म प्रीत की डोरी आप संग बंधे। चाँद को निहार कर दिल से बस यही दुआ निकले। सभी सुहागन को उनके पति का प्यार मिले।।
निर्जल्ल व्रत रखकर ,पति की लम्बी उम्र की कामना कर। अपने हर कर्तव्य को निभाकर,चाँद सी शीलत बनी रहती हैं।।
दीर्घायु की करती हैं कामना,सदा महकता रहे पिया का आँगना।।चौथ माता से करती हूं वंदना।
ममता गुप्ता
अलवर राजस्थान