लेखआलेख
संस्मरण,,,, भूलने की आदत
# कहानी किस्से
यह मानव स्वभाव की प्रवृति है,,,भूलना। जीवन के प्रत्येक घटनाक्रम को याद रखना असम्भव हैं।
हाँ, सुना होगा ना,बातें,, कुछ याद रही कुछ भूल गई। वैसे भूलने के भी लाभ हैं। अतीत में घटी दुःख देने वाली बातों को भूलना ही उचित है। जी,बीती ताही बिसार दे आगे की सुध ले,तभी हम सुख से जी पाएँगे।
लेकिन काम की बातें भूल जाना लापरवाही ही है।
जहाँ तक मेरा प्रश्न है,यूँ तो मेरी स्मरण शक्ति का कोई ज़वाब नहीं। सारी परिक्षाओं हेतु मेरी याद की कोई मिसाल नहीं।
हर वाक़या गाँठ बाँध कर याद रख सकती हूँ। हमेशा मेमरी टेस्ट में अव्वल आती हूँ जी।
लेकिन सिक्के के दो पहलू होते हैं। ग्रहस्थ काल में अधिक याद रखने के चक्कर में कोई ख़ास मुद्दा ऐसा भूलती हूँ कि कभी याद ही नहीं आता।
मेरे पुलिस अफ़सर पति की एक एक चीज़,फ़ाइल सम्भालना व एकआवाज़ पर सौपना ,,आज भी याद है। एक बार मैंने उन्हें एल आय सी फ़ाइल दे दी। वो स्वयं रखकर भूल गए। अब मैं दुबारा कहाँ से देती। फिर मैंने एक रजिस्टर में यह लेन देन लिखना शुरू किया ऑफिशियली।
लेकिन मेरी आदत है,,, भूलने की। शायद अपनी माँ से मिली। कोई ख़ास चीज़ रखती हूँ , खूब संभालकर पर बाद में पूरा घर छान मारती हूँ।
जब तक मिल नहीं जाती लगे रहो मुन्नाभाई। यह दुर्घटना अमूमन मेरे जेवर या पैसे के साथ ही होती है। अब मैं चीज़ें रखने के बाद दो तीन बार मन में दुहरा लेती हूँ।
सरला मेहता
कभी कभी बहुत आवश्यक बातें भी हम भूल जाते हैं और दुखद स्मृतियाँ मुश्किल से भूलते हैं. जिन्हें प्रायः हम भूलना चाहते हैं. मन पर बड़ी संख्या में आवश्यक कार्य. और साथ में रोज़मर्रा के काम होने पर भूलने की सम्भावना रहती है, अच्छा है कि इस स्थिति से निपटने के लिए, किसी रफ या सामान्य डायरी का प्रयोग किया जाए, इससे काम करने में सुविधा होगी और मन पर अनावश्यक बोझ भी नहीं पड़ेगा.