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पुरस्कार - Gita Parihar (Sahitya Arpan)

कहानीप्रेरणादायक

पुरस्कार

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पुरस्कार
" मां,आप तो खूब बड़ी आर्टिस्ट हैं,आंखें बन्द करके बुनाई कर लेती हैं!"
"देखो बेटा,हर व्यक्ति में कुछ न कुछ खास गुण होते हैं,बस जरूरत होती है फोकस की !अपना झुकाव पहचानने और लगन से उस ओर लग जाने की।"
"मां,कुछ विशेषता तो पीढ़ी दर पीढ़ी भी मिलती है न ?हम छः भाई बहन हैं ,जिनमें से दो आर्ट टीचर हैं और बाकी रंगोली, कैलीग्राफी और मेंहदी कला में पारंगत हैं, मां यह सब उन्हें आपसे ही मिला है? मुझे भी मिल जाएगा।"
"बेटा,कला के प्रति तुम्हारा झुकाव तुम्हारे छुटपन से है।तुम्हारे पिताजी ने वह सब सहेज कर रखा है जो कुछ भी तुमने आज तक बनाया है।आओ, दिखाऊं ।यह देखो,इनके नीचे तुम्हारा नाम और तारीख भी लिखते जाते हैं। इस हुनर में और निखार लाओ।।" यह कहते-कहते मां ने मलय का माथा चूम लिया।

दुर्भाग्य से मलय को गले का कैंसर हो गया। परिवार संपन्न नहीं था।पिता सैकड़ों मिल कारीगरों की तरह एक मामूली मिल कारीगर थे जो उस समय हड़ताल पर थे।मां एक गृहिणी थीं। हड़ताल का खत्म होना अनिश्चित था इसलिए जब वह 7 वीं कक्षा में ही था, उसने काम करना शुरू कर दिया। बल्ब लाइट्स के बोर्ड सजाना, रिक्शा के नंबर प्लेट्स पेंट करना, साइन बोर्ड बनाना,बैनर बनाना ,इन सब से वह किसी तरह अपनी पढ़ाई का खर्चा निकालता। वह माता-पिता पर बोझ नहीं बनना चाहता था।

एक बार पुलिस थाने में जहां वह नेम प्लेट और चौकी का बोर्ड पेंट करने गया था, उसने कुछ अधिकारियों को किसी हत्या के बारे में बातचीत करते सुना। किसी मशहूर होटल में एक वारदात हुई थी जहां हत्यारा मृतक के बच्चों को लेकर फरार था।गवाह केवल वह वेटर था, जिसने उन दो लोगों को चाय सर्व की थी।पुलिस उससे मर्डर करने वाले व्यक्ति का हुलिया पूछ रही थी और वेटर समझा नही पा रहा था।
मलय थानेदार के पास गये और उनसे कहा,"सर अगर उस वेटर को केवल आधा घंटा मेरे साथ बैठने दें तो मैं मर्डर करने वाले व्यक्ति का हूबहू स्केच तैयार कर सकता हूं।"
थानेदार ने उनकी बात को मज़ाक में लिया पर उनके बार -बार आग्रह पर मान गया।
उसके बाद जो हुआ वह चमत्कार था। वेटर से मर्डर करने वाले का हुलिया पूछने के बाद मलय ने जो स्केच बनाया उस स्केच से 48 घंटों के अंदर ही अपराधी पकड़ा गया। उस समय मलय दसवीं का विद्यार्थी था।
इस कौशल का एक नमूना उसने पांचवीं क्लास में ही दे दिया था, जब उसने एक कागज़ के टुकड़े को बीस रुपये के नोट के आकार में काटा और अपने पेंट ब्रश की मदद से हूबहू असली नोट जैसा पेंट कर दिया और उस नोट को लेकर एक होटल गया। उसने काउंटर पर वह नोट पकड़ा दिया।वह नोट इतना हूबहू पेंट हुआ था कि सामने खड़े व्यक्ति ने उसे असली नोट समझ कर रख लिया। तब उसने उसे बताया कि वह नकली नोट था।

"मेरे शिक्षक मेरी कला से अत्यंत प्रभावित थे उन्होंने मुझे एक सीख दी थी,अपनी कला का इस्तेमाल किसी गलत काम के लिए मत करना और यह मैंने हमेशा याद रखा।"मलय ने कहा।
कुछ समय के बाद एक लड़की से बलात्कार हुआ जो मूक बधिर थी। मलय को तत्कालीन डीएसपी ने बुलाया और बच्ची से मिलवाया।
मलय ने एक- एक कर कई स्केच बनाये।कई तरह की आंखें, कई तरह के चेहरे, कई तरह के नैन-नक्श, बच्ची केवल इशारे के ज़रिये बता सकती थी।
आठ घँटे की अथक मेहनत के बाद मलय ने डीएसपी के हाथ में एक स्केच थमा दिया।अगले 72 घण्टे में उस बलात्कारी को पकड़ लिया गया!
मलय ने कहा,"पिछले 30 वर्षों में मैंने पुलिस की 450 से अधिक खूंखार से खूंखार अपराधियों को गिरफ्तार करवाने में मदद की है।इसकी मुझे अपार खुशी है। मैं पुलिस का यूनिफॉर्म नहीं पहनता,हाथ में गन नहीं रखता,मेरा एकमात्र हथियार हैं कागज और पेंसिलें।बचपन से मेरा सपना था पुलिस में भर्ती होना,वह सपना तो पूरा नहीं हुआ,किंतु भाग्य ने मुझे पुलिस फोर्स का मददगार जरूर बना दिया।"
वे चेम्बूर एजूकेशन सोसाइटी के एक स्कूल में शिक्षक रहे हैं और जो तनख्वाह आती ,उसी से गुज़र बसर करते रहे हैं। आज भी एक बुलावे पर सब कामकाज छोड़ कर हाज़िर हो जाते हैं।
आज जब सब ओर बेईमानी और भ्रष्ट आचरण का बोलबाला है, उनके जैसा एक व्यक्ति भी हज़ारों बेईमानों पर भारी है।
वे ख्यालों में खो से जाते हैं ,"पिछले बत्तीस वर्षों से मैंने 4000 से भी अधिक स्केच बनाए हैं, जिनमें से 450 से अधिक स्केचेज ने अपराधियों को पकड़वाने में सफलता दिलवाई है।"
"सर,इस काम से आप कितना कमा लेते हैं ?"उन्होंने मुस्करा कर मेरी ओर देखा,"इस काम का मैं कोई पैसा नहीं लेता,बस आशीर्वाद लेता हूं उनका जिन्हें न्याय दिलवाने में कुछ कर पाता हूं। मुझे 165 से अधिक पुरस्कार मिल चुके हैं।प्यार से लोग मुझे आधा पुलिसवाला भी कहते हैं,यह क्या कम है?"
संतोष किसे कहते हैं मैंने आज जाना।

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Kamlesh  Vajpeyi

Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

बहुत सुन्दर और प्रेरणादायी रचना..!

Gita Parihar3 years ago

आपका बहुत, बहुत धन्यवाद

दादी की परी
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