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बैरंग सी मैं,कभी धूप तो कभी छाँव की तरह - Mamta Gupta (Sahitya Arpan)

कवितालयबद्ध कविता

बैरंग सी मैं,कभी धूप तो कभी छाँव की तरह

  • 303
  • 3 Min Read

अपना बना के दिल मे ढेरों अरमां जगा के..
छूटा जो साथ तेरा अंधेरे में रोशनी की तरह ...
रंगीन दुनिया से अकेलेपन तक का सफर किया ...
टूटा जो हर सपना पल भर में काँच की तरह ...

*बेरंग सी मैं , कभी धूप कभी छाव की तरह ...*

तेरी याद तो ऐसी आती है आज भी ...
बिन बादल मानो बरसात की तरह ...
तन्हाई में हर लम्हा गुजर जाता है यूँ ही
मानो चाँदनी बिन पूनम के चाँद की
तरह ...

*बेरंग सी मैं , कभी धूप कभी छाव की तरह ...*

मुरझा गई ये नन्ही कली चंद पलो में ...
बिन पत्तो के मानो सावन की तरह ...
एक तम्मना तेरे सीने पर सर रखने की ...
सागर को मिले साहिल जिस तरह ...

*बेरंग सी मैं , कभी धूप कभी छाव की तरह ...*

ममता गुप्ता✍️

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Madhu Andhiwal

Madhu Andhiwal 3 years ago

उम्दा

Mamta Gupta3 years ago

जी धन्यवाद

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