कवितालयबद्ध कविता
अपना बना के दिल मे ढेरों अरमां जगा के..
छूटा जो साथ तेरा अंधेरे में रोशनी की तरह ...
रंगीन दुनिया से अकेलेपन तक का सफर किया ...
टूटा जो हर सपना पल भर में काँच की तरह ...
*बेरंग सी मैं , कभी धूप कभी छाव की तरह ...*
तेरी याद तो ऐसी आती है आज भी ...
बिन बादल मानो बरसात की तरह ...
तन्हाई में हर लम्हा गुजर जाता है यूँ ही
मानो चाँदनी बिन पूनम के चाँद की
तरह ...
*बेरंग सी मैं , कभी धूप कभी छाव की तरह ...*
मुरझा गई ये नन्ही कली चंद पलो में ...
बिन पत्तो के मानो सावन की तरह ...
एक तम्मना तेरे सीने पर सर रखने की ...
सागर को मिले साहिल जिस तरह ...
*बेरंग सी मैं , कभी धूप कभी छाव की तरह ...*
ममता गुप्ता✍️