कहानीलघुकथा
अफ़सरी रुदबा
सिंग साहब की एस पी पद से सेवा निवृति क्या हुई कि मृदुला की शामत
ही आ गई। कैसे पति, बेटे-बहु व बच्चों में तालमेल बनाए रखेगी ? पति को पसन्द ग्रीन टी ,बेटा अपनी माँ वाली भारतीय चाय पीता है। खाने में भी वही,,,,।
बस साहब जी ने भी ठान लिया सब को अनुशासित करने का।शुरू हो गई क़वायद ,
चलो उठो ,सबकी चाय तैयार है। फिर कुछ वर्ज़िश कर घूमने चलेंगे।
सबके ट्रैक सूट जूते भी तैयार है। हाँ ,आकर के आज हेल्थी नाश्ता मैं बनाऊँगा।"
सबके चेहरे देखने लायक बस कठपुतलियों से आदेश पालन करने लगे।लंच में भी सारे आयटम डैडी जी के अनुसार।
साहब दिन में आराम करते सोचने लगे,"यह क्या,,,घर का बच्चा भी मुँह खोलने से डर रहा है। उन्हें याद आया,कैसे ऑफिस में भी सब डरते थे। वे बोले, " मृदुला! तुम सब लोग जैसे रहते थे ,वैसे ही रहो। मुझे भी अपना स्वभाव बदलना होगा । आज से मैं साहब नहीं डेड हूँ।"
सरला मेहता