कवितालयबद्ध कविता
माँ
माँ की रूह बेटी में,
यूँ घुली रहती है।
जैसे फूलों में बसी,
महक होती है।
माँ बेटी का ये रिश्ता ,
दुनिया से जुदा होता है।
लब चुप रहते हैं दोनों के,
आँखों से नेह बरसता है।
मन से मन का रिश्ता,
माँ बेटी का होता है,
बेटी के दिल का दरिया,
माँ के आँचल में बहता है।
माँ चुप रहकर भी बेटी की,
हर पीड़ा को समझ जाती है,
बेटी की हर समस्या की,
वह दवा बन जाती है।
राजेश्वरी जोशी,
उत्तराखंड