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माँ तेरी साड़ी लाऊँगा - Sarla Mehta (Sahitya Arpan)

कविताअतुकांत कविता

माँ तेरी साड़ी लाऊँगा

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तेरी साड़ी लाऊँगा

माँ इक दीया मुझे लादे
पटाकेबाजी देख के मैं
अपनी दिवाली मनाऊँ

मेम ने दिए जो कपड़े
थोड़ी सलवटें मिटाके
पहनकर यूँ मैं इतराउँ

बाबासा के स्कूली जूते
दे न उन्हें ही चमकालूँ
पहन सबको दिखलाऊ

आज सूखी रोटी खालें
देगा कोई कल मिठाई
मुहँ मीठा मैं कर लूँगा

कल फुस्सी पटाखे ढूंढ
कल्लू मुन्नी चुन्नू के संग
मना लूँगा फिर दिवाली

होटल वाले चाचू से जब
रूपए ईनाम के पाऊँगा
माँ तेरी साड़ी मैं लाऊँगा
सरला मेहता

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Sudhir Kumar

Sudhir Kumar 3 years ago

प्रेमचंद जी का चिमटा ही लेकर आ गयी फिर से आपकी रचना

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