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लिख दो न - Maniben Dwivedi (Sahitya Arpan)

कविताअतुकांत कविता

लिख दो न

  • 231
  • 3 Min Read

लिख दो न
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दिल के कोरे कागज़ पर
तुम लिख दो न अपना प्यार ।
महकती रहूं ताउम्र
तेरे एहसास में
लिख दो न हरसिंगार।
बांध दो ऐसी डोर प्रीत की जनम जन्म ना टूटे
मनभावन ये प्रेम का बंधन युगों युगों ना छूटे
हर्षित पुलकित मन का आंगन खुशियों की पुरवाई
मन के द्वारे कैसी दस्तक कैसी आहट आई?
कौन दिया ये मौन निमंत्रण रोम रोम हरसाया
किसकी यादें अंतर्मन को आ कर मुझे रूलाया?
#लिख दो न सूने नैनों में प्रेम की अमिट कहानी।
कैसी तड़पे राधा प्यारी और मीरा दीवानी।
लिख दो न......

# मणि बेन द्विवेदी
वाराणसी उत्तर प्रदेश

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शिवम राव मणि

शिवम राव मणि 3 years ago

सुंदर कविता

Maniben Dwivedi3 years ago

जी शुक्रिया

Maniben Dwivedi3 years ago

जी शुक्रिया

वो चांद आज आना
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तन्हाई
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प्रपोजल
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माँ
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