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ना काहू से दोस्ती, ना काहू से बैर - Sudhir Kumar (Sahitya Arpan)

लेखअन्य

ना काहू से दोस्ती, ना काहू से बैर

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  • 11 Min Read

संस्कृत के एक नीति-श्लोक का अर्थ है,

" दुष्ट की मित्रता और शत्रुता दोनों घातक हैं. कोयला गर्म होने से हाथ को जला देता है और ठंडा होने पर हाथ काले कर देता है. "

अब हाथ काले करने के लिए कोयले की दलाली जरूरी नहीं है. व्यापम की व्यापक जन्मस्थली से अग्रिम क्षमायाचना के साथ एक अपुष्ट,अप्रमाणित विचार करबद्ध होकर स्वरबद्ध हुआ है कि आटे की दलाली में हाथ सफेद करना और भी ज्यादा अच्छा है. पेट और जेब दोनों तृप्त हो जाती हैं और मुँह की कालिख भी छिप जाती है. बात झूठ निकलने पर झूठ पर भी सफेदी की जा सकती है.

अब गर्म कोयले पर भी हथेली गर्म कर ली जाये. वैसे आज के इस "उज्ज्वला" युग में जब नाली की गर्म भाप पर भी फ्लेवरयुक्त चाय बन सकती है तो आजकल लोग कोयले से ज्यादा भाव, कैंपा कोला या कोका कोला और या फिर कोलावेरी को देते हैं. वैसे भी अब ग्लोबल वार्मिंग के सिर पर सवार पोलिटिकल वार्मिंग भी आ रही है और खोपड़ी पर खुजली बनकर रिलिजन बाॅयलिंग भी बहती गंगा में करकमल प्रक्षालन करके इसे दिव्य बना रही है. कहीं ऐसा ना हो कि भगीरथ अपनी भागीरथी को वापस ले जायें.

सौ बात की एक बात यही है कि तो इस विषय में कोयला अपनी प्रासंगिकता खोता जा रहा है. कोयला जलाने वाले संयंत्र ठंडे पड़ रहे हैं और कोयला परोसती खदानें भी पर्दानशीन हो रही हैं. हर संयंत्र पर प्रकृति का षड़यंत्र भारी पड़ रहा है. कहीं यह नीति-वचन झूठा ना हो जाये, इसलिए कोला की जगह कोरोना ने ले ली है. अब इसे शत्रु बनाया तो गुस्से की कुदाली से कुआँ खोद देगा और गले लगाया तो गले पड़ जायेगा और "फाॅल इन लव" को "डाउनफाल इन ल६व" बनाकर कर देगा खाई तैयार. हाँ, तो बामुलाहिजा होशियार, खबरदार, रक्तबीज का कलियुगी अवतार प्राणवायु पर होकर सवार, आ रहा है. अपने मित्र चमगादड़ के भीषण भक्षण का बदला लेने, करके आँख लाल-लाल, करने सबका हाल बेहाल, यह रक्तबीज हमारे शरीर के रक्तबीजों में घुसपैठ कर रहा है.

जो लोग भस्मासुर की कथा को कपोलकल्पित समझ रहे थे, वे भी आज मान रहे हैं कि जब हाथ मिलाने पर परलोक का टिकट मिल सकता है तो सिर पर हाथ रखने से क्यों नहीं मिल सकता. इस टिकट ने स्थिति ने स्थिति इतनी विकट कर दी है कि निकट आते ही कँपकँपी होने लगती है कि अब अंतिम विकट गिरने वाला है.

भगवान करे, जीवन के इस क्रिकेट में सबकी पारी जम जाये और चौके छक्के लगा इस लाल गेंद को धरती की बाउंड्री पार करा के सब शतक ठोकें और धरती पर फिर से
" जीवेम शरदः शतम् " को पुनर्जीवित करें.

द्वारा: सुधीर अधीर

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Swati Sourabh

Swati Sourabh 3 years ago

वाह बहुत बढ़िया लिखा है सर

समीक्षा
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