कवितालयबद्ध कविता
स्वरचित मौलिक :: विध्ंहर्ता गणपति बप्पा
जय गणपति बप्पा मोरया....
तुम्हरे जैसा कोई ना!
गौरा के हो राज दुलारे!
भ्राता कार्तिक के अति प्यारे!
शिव की आंखों के तारे!
जय गणपति बप्पा मोरया....
तीक्ष्ण बुद्धि प्रखर ज्योति!
माता पिता के चक्र पूरकर!
चरणों मे आशीष नवाकर!
माता पिता को ब्रम्हांड बताकर!
सर्वप्रथम पूजनीय कहलाए!
जय गणपति बप्पा मोरया....
मूषक की सवारी करते!
मोदक बड़े चाव से खाते!
विध्न सब हर ले जाते!
भक्तो पर कृपा बरसाते!
चार भुजाधारी कहलाते!
जय गणपति बप्पा मोरया....
रिद्धि सिद्धि के तुम दाता!
हमारे हो भाग्य विधाता!
तुम्हारी शरण मे जो आ जाता!
सभी मनोरथ पूरा हो जाता!
शुभ लाभ मंगल करता!
जय गणपति बप्पा मोरया....
प्रियंका पांडेय त्रिपाठी
प्रयागराज उत्तर प्रदेश
गणपति की बहुत सुन्दर वंदना..!
हादिँक अभिनन्दन?