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यह राष्ट्रविरोध नहीं तो और क्या है ?
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पीपुल्स एलाएंस फॉर गुपकर डिक्लेरेशन के अध्यक्ष मो.फारूख अब्दुल्ला कह रहे हैं कि हम राष्ट्र का विरोध नहीं कर रहे ,हम तो भाजपा का विरोध कर रहे हैं | जिसने धर्म के आधार पर जम्मू कश्मीर को बाँटा है | पर अभी उन्होंने जम्मू कश्मीर को एक समस्या मानते हुए उसे निपटाने के लिए चीन की सहायता लेने की बात की थी |न जाने क्यों पाकिस्तान की बात क्यों नहीं की | और उन्हें जम्मू कश्मीर में कौन सी समस्या नजर आने लगी | इसी एलाएंस की अध्यक्षा महबूबा मुफ्ती ने कहा कि जबतक मुझे मेरा झंड़ा नहीं मिल जाता तिरंगे को मैं हाथ भी नहीं लगाउँगी | यह दोनों वक्तव्य राष्ट्रविरोध की श्रेणी में नहीं आते यह कौन कह सकता है |
प्रथम बात तो यह है कि पूर्व में जो जम्मू कश्मीर झंड़ा था ,वह आपकी प्राथमिकता है और तिरंगा झंडा सेकेंडरी है | या केवल दिखावा है आपके लिए | जम्मू कश्मीर के लिए अलग संविधान ,अलग निशान ,अलग प्रधान धर्म विशेष को ध्यान में रखकर नहीं किया जा रहा | इसी भारत के संविधान से देश के अन्य भाग के नागरिकों का संचालन हो रहा है तो क्या उनकी पहचान खत्म हो गयी | इस संविधान से आपकी पहचान खत्म कैसे हो जाती है |
या आप अलग विधान बनाकर अलग पहचान बनाना चाहते हैं जिसका आधार कश्मीर की बहुसंख्यक मुस्लिम आबादी है | धर्म की राजनीति आप कर रहे हैं और दूसरों पर दोष मढ़ रहे हैं | इसमें मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी भी साथ दे रही है | मुझे तो उनके धर्मनिरपेक्षता के ज्ञान और सिद्धांत पर शक होने लगा है | उनकी धर्मनिरपेक्षता भाजपा का विरोध करना है | भाजपा का विरोध ही उनकी धर्मनिरपेक्षता का सिद्धान्त है मूल में कुछ भी नहीं | इतना अंध विरोध की राजनीति ने ही कम्युनिष्ट पार्टियों की बुनियादी नीतियों से दूरी बना दी है | वे अब सबकुछ एब्सोल्यूट नहीं भाजपा के सापेक्ष देखने लगे हैं | अगर भाजपा कहे कि सूर्य पूरब में उगता है तो कम्युनिष्ट पार्टियाँ बिन देखे कहने लगेगी कि यह गलत है सूर्य तो पूरब में नहीं उगता | और कोई बगल में यह कहता मिले कि सूर्य पश्चिम में उगता है तो उसके समर्थन में ये पार्टियाँ खड़ी हो जाएँगी |
एक देश में दो संविधान देश की एकता को भंग करते हैं | इसे किसी तर्क या सिद्धांत के माध्यम से सिद्ध नहीं किया जा सकता कि यह देश की एकता और अखंड़ता को बढ़ावा देनेवाला है |
कृष्ण तवक्या सिंह
24.10.2020.