कविताअतुकांत कविता
आज गगन से अमृत बरसेगा
चांद का मन भी हरसेगा
चांदनी करेगी सोलह श्रृंगार
अब चकोर नहीं तरसेगा
श्याम सोलह कलाओं से
परिपूर्ण होकर
राधा गोपियों संग महारास रचाएंगे
वृंदावन में धूम मचेगी
सबका मन हरसाएंगे
जग को अमृत का पान करा के चांद भी झूम जाएगा
देखकर अपनी चांदनी को
मन ही मन हरसाएगा
शरद पूर्णिमा के अवसर पर
खीर बना कर रख लो सब
रोग मुक्त निरोगी काया
आज के दिन कर लो सब
आज के दिन महालक्ष्मी
धरा पर आकर
अपनी कृपा बरसाएंगी
हर दिल में आनंद बरसेगा
खुशियों की लहर आ जाएगी
अंजनी त्रिपाठी
स्वरचित मौलिक
30/10/20