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अधूरी दुनिया - Rudra Rudraksh dwivedi (Sahitya Arpan)

कविताअन्य

अधूरी दुनिया

  • 234
  • 5 Min Read

शायद बहुत छोटा था मै जब खो दिया था तुमको
इतना तो पता था कहीं चली गयी हो तुम
फिर भी हर जगह ढूंडता था तुमको।।
दिनभर ढूंडता तुमको रात मे थककर सो जाता था
महसूस करता था तुमको अपने पास
आंख खुलती तो खुदको अकेला पाता था।।
तुम्हे ढूंडते ढूंडते दिन-बदिन बढता गया
अपनी तन्हाईयो से मै अकेले ही लडता गया।।
अब पता चल गया था मुझको तुम कभी लौटकर नही आओगी,
ना कभी गोद मे सुलओगी ना कभी लोरियां सुनओगी।।
बचपन मे जब भी डरता था मै तुम्हरा इन्तजार करता था,
पापा तो साथ रह्ते थे पर अक्सर तुम्हे याद करता था।।
मेरी तबियत खराब होने से पहले मह्सूस तुम कर लेती थी,
दर्द मुझे होता था पर आंखे तुम्हारी रोती थी।।
तुम नही आओगी वापस ये मै अच्छे से जानता हूं,
फिर भी हर दुआ मे हमेशा भगवान से बस तुम्हे ही मांगता हू।।
उनसे अक्सर पूछता हू ऐसा क्यू किया मेरे साथ,
इतनी छोटी सी उमर मे क्यू छुड़ा लिया मुझसे तुम्हारा हाथ।।
क्यू छोड के चली गयी तुम मुझको क्या मेरी कोई गलती थी,
मै तो जान था तुम्हारी, तुम्हारी जिन्दगी तो मुझसे चलती थी।।
Name:Rudraksh dwivedi

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Swati Sourabh

Swati Sourabh 3 years ago

मार्मिक रचना

Rudra Rudraksh dwivedi3 years ago

Thanku so much

Ankita Bhargava

Ankita Bhargava 3 years ago

मर्मस्पर्शी

Rudra Rudraksh dwivedi3 years ago

Thanks alott

प्रपोजल
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