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राजनीति का पक्षपात
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हमारे इस विशाल देश में लूट,हत्या और बलात्कार जैसी कई अप्रिय घटनाएँ घटती रहती हैं | और उन घटनाओं पर लोग विरोध भी जताते हैं ,प्रतिक्रिया भी करते हैं | पर उन घटनाओं पर प्रतिक्रिया उसमें संलिप्त अभियुक्त और पीडित व्यक्ति की सामाजिक और राजनीतिक स्थिति को देखकर की जाती है |
अभी हाल ही में हाथरस में बलात्कार तथा हत्या की घटना हुई | बलात्कार हुआ कि नहीं यह अभी जाँच के दायरे में है | क्योंकि प्राप्त मेडिकल रिपोर्ट इसकी पुष्टि अभी तक नहीं कर पाया है | पर पीड़िता के संबंधियों के अनुसार बलात्कार हुआ था | उसमें अभियुक्त के रूप में सवर्ण युवक का नाम है और पीडित लड़की दलित समुदाय से आती है |
अभी तत्काल घटना हरियाणा के वल्लभगढ़ में घटी है आरोप है कि दो मुस्लिम युवक ने एक सवर्ण लड़की को धर्म बदलकर शादी करने से इनकार करने पर गोली मार दी | इसके साक्ष्य के रूप में वीडियो भी दिखाया जा रहा है | चश्मदीद गवाह भी हैं |
लड़कियों के प्रति संवेदनशीलता या जुर्म के खिलाफ अपनी प्रतिबद्धता दिखाने के लिए लोग अपनी तरह से प्रतिक्रिया भी कर रहे हैं | पर मैं उन राजनीतिक दल के नेताओं को जो हाथरस में जाकर आँसू बहा रहे थे और फैक्ट रिपोर्ट बना रहे थे बिना दोनों पक्षों से बात किए,उनकी कोई प्रतिक्रिया तक इस घटना पर नहीं सुन रहा हूँ | आँसू बहाना तो दूर उन्होंने कुछ बोला तक नहीं जैसे उन्हें इसकी खबर तक नहीं |
कहाँ गये काँग्रेस महासचिव श्रीमति प्रियंका वाड्रा के आँसू और श्री राहुल गाँधी की करूणा | भीन आर्मी के श्री चंद्रशेखर रावण की हुंकार ,और तमाम विपक्षी दलों का क्रोध | जो ऐसी घटनाओं पर अपने खून में उबाल आने के संकेत देने लगते हैं |
क्या आपकी संवेदना जाति और धर्म देखकर उमडती है | अन्याय और अत्याचार के खिलाफ नहीं | ऐसी ही एक घटना बिहार के मुंगेर में घटी है जिसमें दुर्गा जी की मूर्ति विसर्जन में पुलिस फायरिंग में एक लड़के की जान चली गयी है | कॉंग्रेस ,राजद ,लोजपा आदि ने इसपर खूब टिप्पणियाँ की पर भाजपा आौर जनता दल (यू) के नेताओं को कुछ बोलते नहीं सुना | कॉंग्रेस के प्रवक्ता तो इस तरह बोल रहे थे जैसे माँ दुर्गा के प्रति उनकी भक्ति अचानक उमड़ आयी हो | वे मरनेवाले युवक के प्रति अफसोस कम जाहिर कर रहे थे माँ दुर्गा के प्रति अपनी भक्ति का प्रदर्शन ज्यादा कर रहे थे |
ऐसे तो अन्याय और अत्याचार नहीं मिटेगा | बल्कि यह और बढ़ेगा | हम जाति घर्म को भूलकर अन्याय का ,अत्याचार का ,शोषण का विरोध करना पड़ेगा | यह मान लेना कि फलां वर्ग या फलां जाति ही केवल अन्याय करती है न्याय के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को खत्म कर देती है | हम अन्याय के खिलाफ नहीं खड़े होते बल्कि केवल वर्ग के खिलाफ खड़े होते हैं |
यह तो उन बाहुबलियों के जैसा है कि वह अपने समूह के लोगों को उसी के लिए संरक्षण देता है जो दूसरे करते हैं तो उसे नागवार मानते हुए उसकी हत्या का प्रयास करता है कभी कभी उसकी हत्या करने में सफल भी हो जाता है | राजनीतिक दल अगर उन बाहुबलियों के झुंड की तरह काम करने की आदत में परिवर्तन नहीं लाते तो समाज से अन्याय और अत्याचार मिटने वाला नहीं | एक दल जिसका विरोध करेगा दूसरा दल उसी अभियुक्त का समर्थन करेगा भले ही लोगों की नजरें बचाकर ही करे |
हमें ऐसी राजनीति पर प्रहार करना सीखना होगा | जो हमारे प्रति संवेदनशील न होकर हमें बस अपनी सत्ता तक पहुँचने की सीढ़ियों की तरह इस्तेमाल करने की जुगत भिड़ाते रहते हैं |
हमारे सीने में आग जलनी चाहिए अन्याय के खिलाफ चाहे वह किसी के द्वारा किया गया हो और उसके प्रति हमारे हृदय में शोक और संवेदना उमड़नी चाहिए चाहे पीड़ित कोई भी हो | पत्थरों में भगवान देखनेवाले जाति और धर्म को देखकर इतने निष्ठुर कैसे हो सकते हैं | क्या इंसान बस उनके लिए जाति का एक मोहरा है जिसे अपनी बाजी जीतने के लिए शतरंज की गोटियों की तरह चलना चाहते है | खुद को शतरंज की मोहरों की तरह इस्तेमाल होने से बचाइए ताकि आपके सहारे वे शह और मात का खेल न खेल सकें |
कृष्ण तवक्या सिंह
28.10.2020
सही लिखा है आपने बिल्कुल
धन्यवाद !