कविताअतुकांत कविता
नवरतिया में आजा मईया
मोरे अंगना
मोरे अंगना हो मईया.....…
मोरे अंगना.....
पहिले दिन अइह मईया
बन के शैलपुत्री
राजा हिमांचल के
रहलु मां पुत्री
दूसरे दिन अइह मईया
बनिके ब्रह्मचारिणी मां
बनिके ब्रह्मचारिणी..
दुख दरिद्रता के हऊ
तु निवारिणि ......
दुखवा निवार मईया मोरे अंगना....
नवरतिया में आजा मईया...
तीसरे दिन घरे मोरे अइहे
चंद्रघंटा
जेकरे कृपा के बाजे
दुनिया में डंका
चौथे दिन अइह मईया
बनिके कुष्मांडा
कृपा वरसा के मैया
भक्ति दो अखंडा
भक्ति दो अखंडा ए मईया
भक्ति दो अखंडा...
नवरतिया में आजा मईया....
पांचवे दिन अइहे
मईया स्कंदमाता
जेकरे कृपा से
सुख संतति लहराता
छठवें दिन अईहे
मईया कात्यायनी
अपने भक्तन पर
कृपा लुटावे वरदायिनी
मईया लुटावे .....
नवरतिया में....
सातवें दिन बनिके
अइहे कालरात्रि
दुष्ट दलन करके
देती शुभ दात्री
आठवें दिन अइहे
माता गौरी
शंकर प्रिया से
करी हम चिरौरी
ए मईया करी हम चिरौरी....
नवरतिया में आजा.....
नौवें दिन देती मईया
सिद्धि सिद्धिदात्री
भर देती झोली सबकी
दुखड़े निवारती
नौ रूप के ध्यान मईया
"अंजनी"है धारती
पुष्प दीप फूल लेकर
आरती उतारती
आरती उतारी मईया
करी गुनगनवा
नवरतिया में आजा मईया
मोरे अंगना.......
अंजनी त्रिपाठी
स्वरचित मौलिक
हरिद्वार उत्तराखंड
17/10/2020