Help Videos
About Us
Terms and Condition
Privacy Policy
देखकर मुझको थोड़ा सा जो मुस्कराने लगे - Dr. Rajendra Singh Rahi (Sahitya Arpan)

कवितानज़्म

देखकर मुझको थोड़ा सा जो मुस्कराने लगे

  • 106
  • 5 Min Read

गीत... (गीत-संग्रह से)

देखकर मुझको थोड़ा सा जो मुस्कराने लगे
धीरे- धीरे वो मेरे दिल में उतर आने लगे ...

जाने कैसा असर था मुझपे उन निगाहों का
देखने लग भी गया ख्वाब उनकी बाहों का
गीत फिर हम भी एक मन में गुनगुनाने लगे
धीरे- धीरे वो मेरे दिल में उतर आने लगे....

एक एहसास मुहब्बत का फूल बनके खिला
जाने क्यों ऐसा लगा जैसे मै पहले भी मिला
वो भी घर की तरफ से रोज आने-जाने लगे
धीरे- धीरे वो मेरे दिल में उतर आने लगे...

रूप उनका था बड़ा सौम्य जैसे हो दर्पण
मैंने भी कर ही दिया मन को अपने अर्पण
बैठकर पास मेरे मुझसे ही शरमाने लगे
धीरे- धीरे वो मेरे दिल में उतर आने लगे...

खुशबुओं से महक उठा है सारा ही उपवन
राग रस घोलता हर मन में बह रहा है पवन
हाथ में फूल लिए मुझपे वो बरसाने लगे
धीरे- धीरे वो मेरे दिल में उतर आने लगे....

देखकर मुझको थोड़ा सा जो मुस्कराने लगे
धीरे- धीरे वो मेरे दिल में उतर आने लगे...

डाॅ. राजेन्द्र सिंह "राही"
(बस्ती उ. प्र.)
09918779472
सर्वाधिकार सुरक्षित

logo.jpeg
user-image
Sudhir Kumar

Sudhir Kumar 3 years ago

अद्भुत

प्रपोजल
image-20150525-32548-gh8cjz_1599421114.jpg
वो चांद आज आना
IMG-20190417-WA0013jpg.0_1604581102.jpg
माँ
IMG_20201102_190343_1604679424.jpg
तन्हाई
logo.jpeg