कहानीलघुकथा
#हाऊ_टू_मेक
“मानसी.. मानसी .. बेटा...मैं तुझसे कितनी बार बोलूँ, कि इस तरह की आलू गोभी की सब्जी घर में कोई नहीं खाता!” माँ की बात सुन, मानसी का चेहरा बुझ-सा गया।
इतनी मेहनत से तो उसने गूगल पर रेसिपी सीख कर आज मिक्स वेज बनाने की कोशिश की थी। पर माँ को तो कुछ पसंद ही नहीं आता कभी..आज भी नुस्ख ही निकालने में लगीं थीं ।
उदास मन से उसने अपने आपको कमरे में बंद कर लिया। बेड पर अपने आपको फेंक, मोबाइल उठा उसमें जल्दी जल्दी उंगलियाँ चलाने लगी और गूगल खोल टाइप किया ..
“हाऊ टू मेक योर मदर इन लॉ हैप्पी?”
एंटर करते ही एक के बाद एक कई सारे जवाब आ गए..
●प्यार और सम्मान से बात करें।
●छोटे-मोटे कामों की स्वयं ज़िम्मेदारी लें।
●उनकी राय का हमेशा सम्मान करें।
और भी ना जाने क्या क्या …...उनकी पसंद-नापसंद का ख्याल, सरप्राइज गिफ्ट आदि आदि....
“अरे....करती तो हूँ मैं यह सब...फिर भी ... कहाँ ….कहाँ गलती हो रही है मुझसे? कुछ तो मिसिंग है यहाँ ...पर.. क्या..!” वह सुबकते हुए एक के बाद एक लिंक खोले जा रही थी।
मानसी अभी देख ही रही थी कि तभी माँ की आवाज़ आयी।
“मानसी….मानसी......"
वह हड़बड़ा कर उठ खड़ी हुई और अपना हाथ पीछे कर , मोबाइल छुपाने की कोशिश करने लगी।पर तब तक माँ, अंदर आ चुकीं थीं ।
"बेटा, क्या कर रही है तू ?” उनकी निगाहें उसके मोबाइल के चमकते स्क्रीन पर जा टिकीं।
“वो मम्मी…..” शब्द गले में ही फँसे जा रहे थे।
“बेटा, हर समस्या का समाधान, तेरे गूगल बाबा के पास नहीं मिलेगा। खासतौर से रिश्तों की मिठास के नुस्खे!”
“मम्मी जी..!!”
“अच्छा चल, बाहर आ जा, चाय पीते हैं साथ में।" उन्होंने उसके सर पर हाथ फेरते हुए कहा ।
बहुत देर से पलकों में ठहरे आँसू , इस प्यार को पाकर ,उन्मुक्त हो बह चले ।
"मम्मी...." कहते हुए वह, माँ के गले लिपट गयी।
“जल्दी चल, चाय के बाद, आज, गाजर का हलवा बनाते हैं।” माँ, दरवाज़े तक पहुँच चुकीं थीं ।
“आज मैं बनाती हूँ आप सबके लिए....बेस्ट गाजर का हलवा!” मानसी पूरे जोश से बोली।
“......” माँ ने पलट, मुस्करा कर हामी भरी।
मानसी की उंगलियाँ फिर मोबाइल पर चल पड़ी ....
“हाऊ तो मेक द बेस्ट गाजर हलवा……..”
ऊषा भदौरिया
बहुत अच्छी लघुकथा वैसे सास बहु का रिश्ता होता ही है खट्टा मीठा।
धन्यवाद नेहा जी