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राधा मोहन - Neelima Tigga (Sahitya Arpan)

कवितालयबद्ध कविता

राधा मोहन

  • 239
  • 3 Min Read

पनघट पे गोरी भीगे वसन
लहराते कुंतल चूमे पवन
नज़रें मिली पलकों में हया
कान्हा दिल में राधा जतन II
काहें छेड़त हो नंदलाल मोहन
होवत देरी मोहे पनिया भरन
क्यों फोड़े मोरी गागर मुरारी
बिनती करु तोसे शाम विलोभन II
भीगी चुनर मोरी ,मटकी जल बीन
बतियातीं सखियाँ होकर बैरन
नीर नयन में भरते भरते
छलके मोरे झील विलोचन II
मधुबन में सुन मुरली की धुन
राधा बावरी दौड़ी कानन
सरगम सी तोरी प्रीत फिर भी
अधर छूती बंसी ही भावन II
हौले से मुरारी बोले वचन
स्नेह दृष्टी से उसे निहारन
संग मोरा तब क्यों
अखियों में ये भरभर सावन II
रचना –डॉ.नीलिमा तिग्गा (नीलांबरी),अजमेर राजस्थान
22/10/2020

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Swati Sourabh

Swati Sourabh 3 years ago

बहुत सुन्दर

Neelima Tigga3 years ago

हार्दिक आभार प्रिय स्वाति जी

प्रपोजल
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