कविताअतुकांत कविता
एक नन्हीं परी,,,,
नीले बादलों के
रथ पे सवार
झिलमिल तारों की
पीछे है कतार
चाँद की चांदनी
दे रही बिदाई
रिमझिम बूंदों ने
शहनाई बजाई
एक नन्हीं परी
आँगन में उतरी
उषा की लाल
किरणें ज्यों बिखरी
महके कनेर जुही
चंपा हरसिंगार
हर द्वारे झूमते
देखो वंदनवार
चाची ने रंगीली
रंगोली सजाई
ढोलक की थाप पे
सोहर गवाई
आरती भुआ ने
खूब उतारी
दादी ने काजल की
बिंदी लगाई
ठुमक ठुमक कर
चलने लगी गुड़िया
सजने अब लगी
ख्वाबो की दुनिया
तोड़ हदे सारी
भरो ऊँची उड़ान
माँ और बाबा ने
कर दिया ऐलान
गुड़िया ने सोची
अंतरिक्ष की सैर
या जा विदेश
मनाऊँ अपनी खैर
बाबा ने बोला
पंख हमने दिए
राहे मिल जाएगी
पर ज़रा होले होले
बुलन्द हौंसलें
संजोए दिल में
सात सुर गुंजाती
पैजनियाँ ख़ामोश
जय हिंद सेना में
सरहद पे जा डटी
नहीं हूँ बेटे से
कम मैं बेटी
सरला मेहता