कविताअतुकांत कविता
बिना सीढ़ियों के
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कोई इतिहास लिखता है |
कोई विश्वास लिखता है |
कोई अपनी याददास्त
कोई अपनी तलाश लिखता है |
लिखने की जिद्द है
कोई कलम उदास लिखता है |
पर लिख नहीं पाता कोई अपनी प्यास
शब्दों में ढ़ाल नहीं पाता अहसास
बस पन्ने भरे जाते हैं
कुछ भक्ति के नाम पर
कुछ शक्ति के नाम पर
डगर दिखता नहीं
पहुँच जाते हैं न जाने कैसे धाम पर
न पसीने की खुशबु
न लहु के उबलने की महक है
न जाने कैसे मिटती
जो दिल में उठती लहक है |
नहीं मिलते पन्ने कहीं अभ्यास के
न जाने कैसे देख लेते हैं बिना प्रकाश के
अंधेरे में ही शायद चलते हैं
बिना सीढ़ियाँ चढ़े ही पहुँच जाते हैं उपर परास के
कृष्ण तवक्या सिंह
22.10.2020