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क्यों खुद को पढ़ना भूल जाते हो - Bhawna Sagar Batra (Sahitya Arpan)

कविताअन्य

क्यों खुद को पढ़ना भूल जाते हो

  • 235
  • 5 Min Read

तुम्हारे साथ क्या और क्यों हो रहा है ,
इसका इल्ज़ाम दूसरों पर क्यों लगाते हो ,
जो बोया है तुमने वही तो पाते हो,
दूसरों को गिराने में खुद नीचे गिर जाते हो ,
पढ़ते हो लोगों के झूठे-सच्चे चेहरे
और पढ़ते हो उनके किरदार ।
क्यों खुद को पढ़ना भूल जाते हो ।

अपनी गलतियां दूसरो पर डाल ,
और सबसे छुपा खुश हो जाते हो ।
मगर बर्ताव देख रहा है कोई
और भी तुम्हारा ,सच्चा चेहरा ओर नीयत
सब जानता है ऊपर वाला ,
क्यों ये बात भूल जाते हो ।

गिनते हो उंगलियों पर गलतियां दूसरों की ,
मगर खुद को गलत लोगों में गिनना भूल जाते हो ।

घमंड में ही घमंड के साथ ही सब कुछ बह जाएगा ,
तब कुछ होगा जो तुम्हारा होकर भी ,
तुम्हारा नहीं रह जाएगा ।
ये मीठे चेहरे जो दुनिया को दिखाते हो ,
सताकर आत्मा किसी की ।
ये घिनौना चेहरा भी सामने ज़रूर आएगा ।

जब वो हिसाब करेगा तो
तुम्हारा सब कुछ पलट जाएगा ।
पढ़ते हो ग्रंथ,जपते हो गुरू नाम
झांकना स्वयं में भूल जाते हो ,
क्यों खुद को पढ़ना भूल जाते हो ।

©भावना सागर बत्रा
फरीदाबाद,हरियाणा

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नेहा शर्मा

Bhawna Sagar Batra3 years ago

शुक्रिया दीदी

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