कहानीप्रेम कहानियाँ
आरव घर से निकला तो बारिश शुरू हो चली थी। हल्की हल्की बूंदे जब मिट्टी पर पड़ती है तो सौंधी खुशबु से मन महक उठता है पर जब मेघ फटने को तैयार खड़े हो और अंग्रेजो के ज़माने का तैयार शहर हो तो दिक्कत आती ही है। अब मुंबई है तो बारिश से उम्मीद रोमांस की नहीं बल्कि डूबने की लगाई जाती रही है। उस दिन सुबह से ऐसी ही बारिश हो रही थी और महानगरपालिका ने पहले ही एलान कर दिया था कि घरों में रहे, सुरक्षित रहे। पर मुंबई में कौन रुकता है घरों में? शायद इसलिए बड़े बड़े घरों की जरूरत नहीं पड़ी, जितना समय मिलता है सोने के लिए उस हिसाब से जगह परफेक्ट है। और आरव की खोली में तो काफी जगह थी। मुंबई से थोड़ा बाहर सब अर्बन एरिया में रहना बड़ी और सस्ती जगह दिला देता है। आरव का मुंबई आना जाना रोज का ही था। आई के लाख मना करने पर भी उस दिन भी वो काम पर चला गया। शाम होते होते बारिश ने अपना रौद्र रूप धर लिया था। पूरा इलाक़ा घुटनों भर पानी से भर चला था। आरव कभी कभी सोचता कि जितना प्यार मुंबई वाले अपने समन्दर से करते है उतना ही समंदर उनसे तभी तो बरसात में लीलने के लिए तैयार खड़ा रहता है। आरव ने बेस्ट बस पकड़ी और छत्रपति शिवाजी टर्मिनल पर आ गया। रात गहराती चल रही थी और पहले से ही चेतावनी के चलते आम दिनों के बनिस्पत भीड़ कम ही थी। काफी ट्रेने स्थगित हो चली थी। आरव ने आराम से जाकर अपनी सीट पकड़ी और बैग रख कर फिर गेट पर खड़ा हो गया। फोन निकालकर घर फोन लगाया
" हाँ आई! मैं ट्रेन में बैठ गया हूं, कल्याण पहुंच कर कॉल करूंगा.. अरे.. तू टेंशन मत ले, वो न्यूज वाले ऐसे ही दिखाते है सब चालू है इधर.. ठीक है चल रखता हूं "
ज्यादा परेशान तो मिलन सबवे में खड़े न्यूज वाले करते है। पूरे देश को लगता है मुंबई चुल्लू भर पानी में डूब गई।
ट्रेन चल पड़ी। प्लेटफार्म से गंतव्य को निकलती रफ्तार पकड़ने वाली थी कि आरव ने देखा एक लड़की भागती हुई आ रही है। हाँ और भागे भी क्यों ना बरसात के चलते ये आज की लास्ट लोकल थी। लड़की तेजी से आ रही थी और आरव को लगा कहीं वो गिर ना पड़े। साफ दिख रहा था लेडीज कोच तक वो पहुंच नहीं सकती थी। आरव ने हाथ बढ़ाया और वो पकड़ कर अंदर आ गई।"थैंक यू" कहकर अंदर दाखिल हो गई। आरव ने देखा वो आरव की सामने वाली सीट पर ही जा बैठी। उपर से नीचे तक भीग चुकी वो अपने बैग से रुमाल निकाल कर खुद को सुखाने की नाकाम कोशिश कर रही थी। बारिश रुकी हुई थी और काले बादलों को चीर आती ठण्डी हवा का आनंद लेने के लिए आरव गेट पर ही खड़ा था। तभी वो लड़की भी गेट पर चली आई। आरव झेंप गया।
क्रमशः
©सुषमा तिवारी