कवितानज़्मअन्य
हर शख्स निभा रहा है एक किरदार जहाँ में,
किरदार लिखने वाला भी लिखता है कहानी,
और उस कहानी में कभी बताता है ,
तो कभी छुपाता है किरदार अपना ।
एक ऐसा किरदार जो अपरिचित हो ,
एक ऐसा किरदार जिससे वो खुद नहीं है वाकिफ ,
एक ऐसा किरदार जिससे खुद अंजान है ,
मगर फिर भी निभाता है एक किरदार,
लेखक हो जाने का ,निभाता है किरदार कवि हो जाने का
किसी ने कहा कि आसान है ये किरदार निभाना
अब उन्हें कैसे समझाऊँ कितना मुश्किल है,
कितना मुश्किल है कवि/लेखक हो जाना
जिसके बारे में लिखते है उसको खुद जी जाना ,
कितना मुश्किल है ये किरदार निभाना ।
©भावना सागर बत्रा
फरीदाबाद ,हरियाणा