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सच ही तो क्रांति है - Krishna Tawakya Singh (Sahitya Arpan)

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सच ही तो क्रांति है

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सच ही तो क्रांति हैं
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क्रांति का निहितार्थ यही है कि इसकी ज्वाला में झूठ भस्म हो जाए और सच सामने आ जाए | जितने भी तरह की क्रांति है अगर उसका लक्ष्य इसके अलावा कुछ और है तो वह अपने आपमें ही विफलता की सूचक है | सच स्वयं में क्रांति है | जिनके अंदर भी क्रांति की ज्वाला धधकती है वह इसी झूठ की आँच का परिणाम है | वह स्थितियों को बदलना चाहता है सच का अनुसंधान करने की दिशा में कदम नहीं नहीं उठाता और भटकता रह जाता है एक झूठ से दूसरे झूठ की ओर | जैसे अगर कोई व्यक्ति अशांति महसूस करता है और वह अशांति के कारणों की खोज न करके शांति की खोज में लग जाता है तो वह गलत दिशा में यात्रा कर रहा है | उसकी अशांति हो सकता है कुछ समय के लिए उसके अंदर दब जाए | पर शांति तो फलित हो नहीं सकती | जो नशे के समान ही है | जब हम अशांति के कारणों को मिटा देते हैं तो शांति खुद चली आती है |
हमने सच को झूठ की कई परतों में छुपाकर रखा है |
और इन परतों को उठाकर ही हम सच का दर्शन कर सकते हैं | सच हमारे अंदर वह परिवर्तन अपने आप ले आता है जो हम चाहते हैं | परिवर्तन की आकांक्षा अगर सच से दूर करती है तो वह हमें परिवर्तित नहीं कर सकती | इसलिए तमाम बातों को छोड़ हमें सच की ओर यात्रा करनी चाहिए | और यहीं से शुरू होती है झूठ के जाल को काटने की यात्रा | जिसके लिए एक प्रश्न उठानेवाला ,संदेह करनेवाला चित चाहिए | परिणामों से स्रोत की यात्रा आसान नहीं है | और हमे परिणाम ही उपलब्ध होते हैं स्रोत दिखता नहीं | क्रांति परिणाम से स्रोत की यात्रा है | यही सच के खोज का उपलब्ध मार्ग है | क्रांति की राह है | सच को ढूँढ़़ने की हर कोशिश में बाधा इन्हीं राहों पर खड़े प्रहरी के द्वारा उत्पन्न की जाती है | जिनसे हमें लड़ना पड़ता है और ऊर्जा और ताकत की जरूरत होती है |

कृष्ण तवक्या सिंह
14.10.2020

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Sudhir Kumar

Sudhir Kumar 3 years ago

चैतन्यपूर्ण

Sudhir Kumar

Sudhir Kumar 3 years ago

चैतन्यपूर्ण

Krishna Tawakya Singh3 years ago

धन्यवाद !

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