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#न्याय... - Champa Yadav (Sahitya Arpan)

लेखआलेख

#न्याय...

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#न्याय...

"नारी तुम कुछ कर ही नहीं सकती
तुम्हें तो जीने का हक ही नहीं है।
क्योंकि ये हैवान राक्षस
तुम्हें कुछ करने ही नहीं देगें।
इनका वैहशी पन तुम्हें
सर उठा कर जीने ही नहीं देखा।"

"जागो! क्या? कोई भी इंसान नहीं है इस दुनियाँ में।"

अगर है तो क्यों अब तक सो रहे हो? क्या ? कोई नहीं जो अपने #बहनों, बेटियों की रक्षा कर सके। सब सिर्फ बोलने के लिए है करने के लिए कोई नहीं। क्या तुम सब इन हैवानों का अंत नहीं कर सकते..... कि घर में बैठे हुए सिर्फ #तमाशा ही देखोगे।

सब की इंसानियत मर चुकी है क्या? इन #गिद्धों को कोई नहीं मार सकता। क्योंकि गिद्धो की संख्या ज्यादा है #समाज में और #इंसानों की कमी हो गई है। तो फिर क्यों नहीं गिद्धो को सरे आम, जला के मार क्यों नहीं देते।

किस न्याय की #प्रतीक्षा कर रहे हो..... अभी भी न्याय चाहिए तुम्हें! कुछ नहीं होगा। अदालत का दरवाजा खटखटाने से।

"सैकड़ों #लड़कियों को बेआबरू करके" उन्हें..... जीने के लायक नहीं छोड़ा जा रहा है। वो दम तोड़ दे रही है और हम सब #न्याय के लिए बैठे हैं। क्या? सभी मिलकर उन्हें तड़पा-तड़पा कर मार नहीं सकते। इस हैवानियत के लिए यही न्याय सही है और कोई हो ही नहीं सकता है।

यह है हमारा #भारत_देश..... ऐसी आजादी! हैवानों के लिए..... आजादी। खेलो नारी के #आबरू से और मजे करो। ऐसी #आजादी!..... नहीं चाहिए आजादी!

"ये कैसी #आजादी..... नारी को #आवाज उठाने का हक ही नहीं। नरक है ऐ दुनियाँ..... यहाँ सिर्फ गंदगी फैली हुई है या नहीं जीने #लायक..... ।"

#नारी! तुम नहीं #जन्मों इस नरक मे..... रहने दो सिर्फ हैवान पुरुषों को..... यहाँ। देखते हैं तब किसे नोचेगें..... ये।

तुम्हीं ने इन्हें #जन्म दिया और ऐ ही तुम्हीं नोच रहे हैं।
इन्हें एक ही चीज चाहिए। तुम्हारा..... जिस्म और कुछ नहीं। यहाँ कदर नहीं तुम्हारी...... तुम तो सिर्फ इनके #भोग की वस्तु हो। ये इंसान नहीं.....#जानवर है।

" क्या कोई #राम नहीं जो, इन #राक्षसों का अंत कर सके।" आखिर कब तक नारी शिकार होते रहेगी, राक्षसों का।

@champa यादव
3/10/20

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