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रिश्तों के नाम - Manpreet Makhija (Sahitya Arpan)

कवितालयबद्ध कविता

रिश्तों के नाम

  • 144
  • 3 Min Read

रिश्तों के नाम

अच्छा होता अगर, रिश्तों के नाम नही होते
एक ही जिंदगी में बार बार हम बदनाम नही होते

जी हाँ , सिर्फ अनाम रिश्तों पर ही उंगलियां नही उठती यहाँ...
बस, नामी रिश्तों की शिकायतों के क़िस्से सरेआम नही होते

कतरा कतरा लुट जाते है हम रिश्तों पर बेहिसाब
पर अफ़सोस इन अनमोल पलों के कोई दाम नही होते

कोशिश करते रहे बस हम रिश्तों को चमकाने की
अब जाना कि इकतरफ़ा कोशिश से हासिल ये मुक़ाम नही होते

~~स्वरचित व मौलिक~~
~~मनप्रीत मखीजा~~

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Poonam Bagadia

Poonam Bagadia 3 years ago

बहुत खूबसूरत कविता ..! कविता थोड़ी कुछ और पंक्तियों के साथ होती तो अच्छा लगता ..!फिर भी गागर में सागर जैसा अनुभव हुआ..! .....नामी रिश्तों के शिकायतों के किस्से आम नही होते.. तथा अंतिम पंक्ति उत्तम है..!

Kamlesh  Vajpeyi

Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

बहुत सुन्दर और भावपूर्ण..!

प्रपोजल
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