कवितालयबद्ध कविता
कब तक???
कब तक नारी चुप रहेगी?
कब तब अत्याचार सहेगी?
कब तक निर्भया चुपचाप जलेगी?
कब तक इंसाफ का इंतज़ार करेगी?
कब प्रतिशोध की ज्वाला जलेगी?
कब नारीशक्ति अपने लिए लड़ेगी?
क्यों मौन है नारी रक्षा पर सरकार?
कब मिलेगा बेटी को अधिकार?
कब तब नया कानून बनेगा?
कब संविधान संशोधित होगा?
कब नारी को अधिकार मिलेगा?
कातिलों के लिए फरमान निकलेगा!
जब नारी सुरक्षा पर उठ रहे सवाल,
तो क्यों मौन खड़ा है ये समाज?
क्यों नहीं सुलगती विद्रोह की आग!
कहां गई नारी सम्मान की बात?
नारी -रक्षा कानून बनाए सरकार,
वरना नारी उठाएगी तलवार।
करेगी दरिंदों पर जब वार,
भूल ना पाएगा संसार।
तो दो अब नारी को अधिकार,
खुद करे दरिंदों पर वार ।
अस्मिता पर आए जो आंच,
बीच सड़क पर उसे लगा दे आग।
आत्मरक्षा में गर दे भी मार,
उतारे कातिलों को मौत के घाट।
ना मिले तब भी कोई दंड,
तभी टूटेगा दरिंदों का दंभ।
उठा लो नारी अब तलवार ,
कब तक सहोगी अत्याचार?
जब हुआ द्रोपदी का चीर हरण,
तब भी सभा में सब थे मौन।
जब सीता चरित्र पर उठे सवाल,
तब भी चुप खड़ा था समाज।
उठाओ नारी अब खुद औजार,
करो दरिंदो पर ऐसा वार।
थर्रा उठे ये धरती गगन,
ना कर सके कोई चीर हरण।
स्वाति सौरभ
स्वरचित एवं मौलिक
बढ़िया...! ऐसा ही होगा अब..!
Thank you maim ?