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माँ भारती शर्मसार हो गई - Sarla Mehta (Sahitya Arpan)

कविताअतुकांत कविता

माँ भारती शर्मसार हो गई

  • 185
  • 4 Min Read

समसामयिक रचना
माँ भारती शर्मसार हो गई

पाशविक दहलाती करतूतें
हदों से ही गुज़र गई
दरिंदों की दारुण बेहयाई
अब सीमा पार हो गई
नैतिक मूल्यों की वो बातें
कहाँ बिखर बिसर गई
अमानवि दुःशासिनी हरकतें
अब तो कारगार हो गई
देवियों से पूजित बेटियों की
चुनरी क्यूँ तार तार हो गई
ये मासूम अधखिली कलियाँ
अब दर्द से बेज़ार हो गई
नोची खसोटी गई कई गोरियाँ
अनब्याही ही आज रह गई
ख़्वाबों की सुरमई गलियों से
बदनाम बस्तियाँ बन गई
शिवानी एलीना आसिफ़ा सी
निर्भया दामिनी चली गई हाथरस में मनीषा की हड्डियाँ
हथौड़े से चूर चूर हो गई
ना रहा भय महामारी का इन्हें
दुर्दांत कहानी मशहूर हो गई
रक्तरंजित गूंज रही कराहों से
यम- ड्योढ़ी तरबतर हो गई
लक्ष्मी दुर्गा पद्मिनी के देश में
माँ भारती शर्मसार हो गई
सरला मेहता

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Swati Sourabh

Swati Sourabh 3 years ago

वाह मैम बहुत ही उम्दा

Poonam Bagadia

Poonam Bagadia 3 years ago

मार्मिक रचना आँटी जी.. आज के हालातों को दर्शाती..!

वो चांद आज आना
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तन्हाई
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प्रपोजल
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माँ
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