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शरद पूर्णिमा में रास - Anujeet Iqbal (Sahitya Arpan)

कवितालयबद्ध कविता

शरद पूर्णिमा में रास

  • 208
  • 5 Min Read

शरद पूर्णिमा में रास

शरद यामिनी प्रगटे निधिवन
परमानंद गुण अद्वैत गोपाला
शीश मुकुट श्रवण मीन कुंडल
कंठ विभूषित वैजयंती माला


पीतांबर धारे आभूषण सजीले
कटि पर मधुर किंकिणि चंगी
नख से शिख सब अति सुंदर
वंशी लिए मुस्काये त्रिभंगी

उन्मुक्त भयीं समस्त ब्रज नारी
स्वामी, कुटुंब, भवन बिसारे
रासभूमि में आईं सखियां
श्याम विरह का क्षोभ निवारे

मुदित मन से नाचें गोपियां
अष्ट सखियां मधुर धुन गावें
श्री राधा झूल रही हिंडोला
कृष्ण अधर धर वेणु बजावें

अति सौम्य शीतलप्रद रात्रि
शरद पूर्णिमा का उज्ज्वल चंदा
दर्शन मदन गोपाल मनोहर
महारास रचाये नंद का नंदा


मोहित तरु तमाल खग धेनु
सखियों के घूंघट-पट छूटे
विस्मित हुआ समग्र शशिमंडल
चौदह भुवन को मोहन लूटे

अधरपान परिरंभन सिंधु
प्रेममग्न सब सखियां सहेली
रति लीला में मस्त हुईं सब
प्रमोद वाटिका में हो रही केली

शिव शंकर वेष धरा गोपी का
हिय प्रेम का ताप उपजावे
कुमकुम, अंजन से सज्जित कर
गोपियां औघड़ शम्भू नचावें



अनुजीत इकबाल

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Anujeet Iqbal

Anujeet Iqbal 3 years ago

चिंतन वाली रचना जल्द ही❤️

नेहा शर्मा

नेहा शर्मा 3 years ago

बेहद उम्दा। परन्तु मुझे इससे थोड़ा ज्यादा गहन शोध वाली रचना का इंतज़ार है। कृष्ण प्रेम में और ज्यादा रची बसी रचना ???? यह भी सुंदर है।

Anujeet Iqbal

Anujeet Iqbal 4 years ago

प्रिय गोपिका नेहा के नाम❤️

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