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एक नया निर्माण दो - Beena Ajay Mishra (Sahitya Arpan)

कवितालयबद्ध कविता

एक नया निर्माण दो

  • 113
  • 3 Min Read

सपनों में आकर हे प्रिय!
अंकपाश में लेते हो
नींद मधुर हो जाती है
नैनों की नैया खेते हो
लाज बनी है मधुयामिनी
दो आँखें जैसी सुहाग-दिन
आओ स्पर्श करो मन को
मैं बैठी हूँ क्षण-क्षण को गिन
शुष्क देह की पटिका पर
चित्रकार! अब कुछ आँको
मैं नैन मूँद ये लेती हूँ
लो रंग दो मेरी गरिमा को
हे अर्धनारीश्वर! परम पूज्य!
पूर्ण करो नारीत्व को
मेरी क्षमता है बंजर भूमि
रोपो मुझमे तुम ममत्व को
मुक्तिपथ यही मेरा है
अविलंब मुझे निर्वाण दो
रम जाओ पल भर को मुझ में
और एक नया निर्माण दो

(बीना अजय मिश्रा)

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Anujeet Iqbal

Anujeet Iqbal 4 years ago

सुंदर

नेहा शर्मा

नेहा शर्मा 4 years ago

बहुत खूब ?

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