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८४ जूनी बाद मिला है जीवन - Bhawna Batra (Sahitya Arpan)

कविताअन्य

८४ जूनी बाद मिला है जीवन

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84 जूनी बाद मिला है,
जीवन ये अनमोल।

हार मानकर मुश्किलों से,
खुदको न तराजू में तोल।

ओ बन्दे,रोता हुआ आया था,
क्या रोता हुआ ही जाएगा।

उठ,खड़ा हो,आगे बड़
क्या जीवन में नाम नहीं कमाएगा।

छोड़दे दुनिया की बातों में न आ,
साथ तेरा तेरे सिवा कोई न निभाएगा।

मेहनत कर आगे बड़,
अनसुना कर बुरा कहने वालों को।

अपनी पहचान तू खुद ही बनाएगा।
ओ बन्दे
गाँठ बाँध ले तू क्या है, ये जग को
तू ही दिखाएगा।

और तब तेरा वजूद कोई न मिटा पाएगा
कोई भी न मिटा पाएगा।

©भावना सागर बत्रा की कलम से

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Ankita Bhargava

Ankita Bhargava 4 years ago

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