कविताअन्य
84 जूनी बाद मिला है,
जीवन ये अनमोल।
हार मानकर मुश्किलों से,
खुदको न तराजू में तोल।
ओ बन्दे,रोता हुआ आया था,
क्या रोता हुआ ही जाएगा।
उठ,खड़ा हो,आगे बड़
क्या जीवन में नाम नहीं कमाएगा।
छोड़दे दुनिया की बातों में न आ,
साथ तेरा तेरे सिवा कोई न निभाएगा।
मेहनत कर आगे बड़,
अनसुना कर बुरा कहने वालों को।
अपनी पहचान तू खुद ही बनाएगा।
ओ बन्दे
गाँठ बाँध ले तू क्या है, ये जग को
तू ही दिखाएगा।
और तब तेरा वजूद कोई न मिटा पाएगा
कोई भी न मिटा पाएगा।
©भावना सागर बत्रा की कलम से