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मैच्युरिटी - Krishna Tawakya Singh (Sahitya Arpan)

कहानीउपन्यास

मैच्युरिटी

  • 250
  • 8 Min Read

मैच्युरिटी
भाग (6)
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बारात खा चुकी थी | अब लड़के को शादी के लिए मंडप में ले जाया जा रहा था | वह क्षण अब देवेन्दु राय के जीवन में जल्द ही आनेवाला था जिसका उन्हें इंतजार था | उन्हें ही क्यों हर किसी को इस पलका इंकजार रहता है |
मँडप में पहुँचते ही औरतों ने घेर लिया उन्हें | और रस्म अदा की जाने लगी | कुछ देर बाद लड़की को मंडप में लाया गया | विवाह के सुरीले गीत और पंडित जी के मंत्रोचारण के बीच सुबह पाँच बजे तक शादी सम्पन्न हो गयी | अब विदायी का इंतजार था | सुबह होते ही मूर्ति की विदायी हो जाएगी | और यह घर पराया हो जाएगा उसके लिए जो अबतक अपना था | जिसके हर सामान पर उसकी छाप थी और उसका अधिकार था अब खत्म हो जाएगा | अब इस घर के लिए वह मेहमान है | अब उसे दूसरे घर मे जाना है वही उसका घर है | आज से उस घर पर उसका अधिकार होगा | अब यह घर पराया है उसके लिए |
विदायी की तैयारी होने लगी | घर की औरतों ही नहीं बच्चे ,बूढ़े ,जवान सबके आँखों से आँसू बहने लगे | विदायी के गीत हृदय को चीरे जाते थे | कौन पत्थर दिल होगा जो रो न पड़ा हो | यहाँ तक की डोली उठानेवाले कहारों के आँखों में भी आँसू आ गए थे | वे डोली उठाते थे और रोते थे | सबको अपना फर्ज पूरा करना था | यही दुनियाँ की रीत है |
शाम तक बारात लौट कर घर पहुँच चुकी थी | मूर्ति अपने नये घर में कदम रखनेवाली थी | कुछ परीछन के रस्म निभाए जाने के बाद घर और गाँव की औरतें उसे घर के चौखट के अंदर ले गयी | आंगन बड़ा था | पर यहाँ उसे आँगन में खेलने की आजादी नहीं थी | यहाँ तो उसे घर में ही रहना था | मूर्ति अक्सर रात में आंगन में निकलती और दिन में जब कोई नहीं रहता | कई कई दिन तो उसे सूर्य भगवान के दर्शन तक नसीब नहीं होते |

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नेहा शर्मा

नेहा शर्मा 3 years ago

आपकी यह कहानी मजेदार जा रही है।

Krishna Tawakya Singh3 years ago

धन्यवाद मैडम

दादी की परी
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