कविताअतुकांत कविता
मायूसी
तुझसे मिलने से पहले
खुश थे अपनी जिंदगी में
जब से तुम मिली हो न
दिल में हर वक़्त मेरे
मायूसी रहती है तुमको लेकर...!
तेरी मासूमियत को देख कर
सोचा था हमने कि
तू खुश हो जाएगी
लेकिन तूने तो मिल कर
मुझे ही मायूसी दे दी......!
एक तड़प सी उठती है
तुझे पाने को
एक ललक सी रहती है
तुझसे मिलने की
पर कुछ नहीं हो पाता है
दिल में ओर मायूसी
छा जाती है तुझे सोच कर......!
अब तुझ से बातें करना भी
बन्द कर दिया ये सोच कर
कि हमारी तक़दीर में
था ही नहीं तुझ से मिलना
ये सोच कर दिल में फिर
मायूसी घर कर जाती है.......!
संदीप चौबारा
फतेहाबाद
२०/०९/२०२०
मौलिक एवं अप्रकाशित
थोड़ा सैड है लेकिन अच्छी है। ?
ओह! हार्दिक आभार जी