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मायूसी - Sandeep Chobara (Sahitya Arpan)

कविताअतुकांत कविता

मायूसी

  • 156
  • 4 Min Read

मायूसी

तुझसे मिलने से पहले
खुश थे अपनी जिंदगी में
जब से तुम मिली हो न
दिल में हर वक़्त मेरे
मायूसी रहती है तुमको लेकर...!

तेरी मासूमियत को देख कर
सोचा था हमने कि
तू खुश हो जाएगी
लेकिन तूने तो मिल कर
मुझे ही मायूसी दे दी......!

एक तड़प सी उठती है
तुझे पाने को
एक ललक सी रहती है
तुझसे मिलने की
पर कुछ नहीं हो पाता है
दिल में ओर मायूसी
छा जाती है तुझे सोच कर......!

अब तुझ से बातें करना भी
बन्द कर दिया ये सोच कर
कि हमारी तक़दीर में
था ही नहीं तुझ से मिलना
ये सोच कर दिल में फिर
मायूसी घर कर जाती है.......!
संदीप चौबारा
फतेहाबाद
२०/०९/२०२०
मौलिक एवं अप्रकाशित

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नेहा शर्मा

नेहा शर्मा 3 years ago

थोड़ा सैड है लेकिन अच्छी है। ?

Sandeep Chobara3 years ago

ओह! हार्दिक आभार जी

वो चांद आज आना
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तन्हाई
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माँ
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