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किसी का कभी ना दिल दुखाउँ - Sarla Mehta (Sahitya Arpan)

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किसी का कभी ना दिल दुखाउँ

  • 383
  • 8 Min Read

विषय,,,,,डर
दिल किसी का मैं ना दुखाऊं

दिल् किसी का मैं ना दुखाऊं
जहाँ से जब कूच कर जाऊँ
दुआएं अपने साथ ले जाऊँ
कभी किसी को ना सताऊं
इस डर से कैसे निज़ात पाऊँ

डर मन का भाव मात्र है। जब सोच पर नकारात्मक अनर्गल प्रवृत्तियां हावी हो जाती है तो डर अड्डा जमा लेता है। अँधेरे का भय, अकेलापन,हार की शंका,अप्रत्याशित आशंकाएं
आदि डर का खौफ़ पैदा कर
देते हैं। हमारे अनुमानों का कोई ओर छोर नहीं।ये बस
हनुमान महाराज की पूछ की
माफ़िक बढ़ते जाते हैं।
जहां तक मेरा सवाल है,मैं यूँ बेसिर पैर की बातों में नहीं कभी उलझती। लेकिन मैं यह भी स्वीकार करती हूँ कि बाल
पन के शिक्षा काल में सुनती थी कि परिक्षा के नतीज़ों के
पूर्व डरो तो रिज़ल्ट अच्छा आता है।पर वह वहम भी समय के साथ दूर होता गया।
फिर नैतिक शिक्षा में पढ़ा कि कभी किसी किसी का दिल मत दुखाओ। वही बात गहराई तक छू गई। बस
अब यही ध्यान रखती हूं कि अनजाने में भी मेरे द्वारा कभी किसी का नुकसान ना हो जाए। जैसे भी हो सबकी
मदद,भलाई कर सकूं।भूलसे
भी मुझसे किसी का बुरा ना
हो जाए। हम एक ऊँगली किसी को दिखाते हैं तो शेष
तीन अंगलियाँ हमारी ओर ही
उठती हैं।
तीन बंदर कहते हैं-बुरा मत सुनो ,बोलो व देखो। लेक़िन
मेरा चौथा बंदर कहता है कि बुरा मत सोचो। बस मेरा यही डर रहता है। मेरा खाता बस अच्छाई का जमा खाता हो,
बुराई का नहीं। अतः जो भी कर्म करती हूँ ,यही डर बना रहता है।
जैसा सोचोगे तुम वैसा बन
जाओगे
जैसा कर्म करोगे वैसा फल
पाओगे
बस इसी तरह अपना डर भगाती रहती हूँ अन्यथा यमराजजी को क्या जवाब दूँगी।
कर्म करो ऐसे भाई कि पड़े न फिर पछताना
एक दिन तो धर्मराज को देना
होगा बयाना
सरला मेहता

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नेहा शर्मा

नेहा शर्मा 3 years ago

बहुत सुंदर

Kamlesh  Vajpeyi

Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

डर की बहुत सुन्दर चर्चा..!

समीक्षा
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