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Kya neend aati hai tumhe - Ashu Gaur (Sahitya Arpan)

कवितालयबद्ध कविता

Kya neend aati hai tumhe

  • 277
  • 8 Min Read

क्या नींद आती है तुम्हें

मेरे दिल को तोड़ कर जाने वाले, क्या नींद आती है तुम्हें
मेरे चेहरे की हंसी चुराने वाले, क्या नींद आती है तुम्हें
मेरे आंसुओं को आग लगाने वाले, क्या नींद आती है तुम्हें
मेरे दिल को तोड़ कर जाने वाले, क्या नींद आती है तुम्हें


रात भर तुम्हारा चेहरा हवा में बनाकर तुमसे बातें किया करता था
तुम्हारी यादों को चादर में छिपाकर चंद मुलाकातें किया करता था
उगता सूरज थी, तुम मेरी जरूरत थी, तुम
चांद तारो को तकिए के नीचे दबाकर कई रातें जिया करता था
मेरी रातों की नींद उड़ाने वाले, क्या नींद आती है तुम्हें
मेरे दिल को तोड़ कर जाने वाले, क्या नींद आती है तुम्हें


तुमने मुझे इतना खाली कर दिया कि और कोई रिश्ता संभलता ही नहीं
सपनों की जमीन जितनी भी गीली हो साला पैर फिसलता ही नहीं
मर चुके हैं जज्बात, उम्मीदें अब धुआं बन चुकी हैं
दुनिया की किसी भी बात पर साला दिल मचलता ही नहीं
मेरे चेहरे पर उंगलियां फिराने वाले, क्या नींद आती है तुम्हें
मेरे दिल को तोड़ कर जाने वाले, क्या नींद आती है तुम्हें



गलती तुम्हारी नहीं है, मैं अपनी मोहब्बत किसी और मुकाम पर ले गया था
टूटी दियाली की औकात थी मेरी, मैं अपने सितारे आसमां पर ले गया था
तुम पर कुछ लिखना नहीं चाहता था पर कलम अपने आप चलने लगा
बारिश इतनी तेज हुई की यादों का घर अपने आप जलने लगा
मेरे हाथों की लकीरें मिटाने वाले, क्या नींद आती है तुम्हें

मेरे दिल को तोड़ कर जाने वाले, क्या नींद आती है तुम्हें
मेरे चेहरे की हंसी चुराने वाले, क्या नींद आती है तुम्हें
मेरे आंसुओं को आग लगाने वाले, क्या नींद आती है तुम्हें
मेरे दिल को तोड़ कर जाने वाले, क्या नींद आती है तुम्हें

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नेहा शर्मा

नेहा शर्मा 3 years ago

बहुत बढ़िया

प्रपोजल
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माँ
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