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मन की शान्ति - Mamta Gupta (Sahitya Arpan)

कहानीसामाजिकव्यंग्यप्रेरणादायक

मन की शान्ति

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*मन की शांति ...*

एक नगर में रामरतन नाम के अपार संपत्ति के धनी सेठ रहते थे । सेठ जी के पास धन संपति तो बहुत थी लेकिन जीवन मे शान्ति नही थी , हमेशा किसी न किसी बात को ले कर परेशान ही रहते थे , वह जीवन शांति चाहते थे । सेठ को परेशान देखकर उनके मुनीम ने पूछा कि सेठजी क्या हुआ ? क्यो इतने बेचैन से हो ?
सेठ जी ने मुनीम को अपनी परेशानी बताई , कहा मैं बहोत परेशान ही रहता हूँ , किसी न किसी वजह से । इस वजह से अक्सर घर मे भी कलह का माहौल बन जाता है , कभी कभी बच्चों पर भी गुस्सा हो जाता हूँ । परेशानी सुनकर मुनीम जी बोले - नगर में एक साधु आये हुए है , बहुत सी सिद्धि उन्हें प्राप्त है औऱ लोगो की भीड़ भी काफी लगती हैं हर सम्भव इलाज है उनके पास , मनचाही वस्तु की प्राप्ति होती हैं उनके आशीर्वाद से ।

यह सुनकर सेठ जी उस साधु के पास गया और बोला - मेरे पास सब कुछ है लेकिन बस मन की शान्ति नही है । साधु ने सेठ को ऊपर से नीचे तक देखा सुंदर वस्त्र , आभूषण पहने हुए एक धनी सेठ उनके समक्ष था । तभी साधु की नजर सेठ के गले मे पहनी हुई नवरत्न जड़ित सुंदर सी माला पर पड़ी ।

साधु ने कहा - तुमने गले मे जो रत्न जड़ित माला पहनी है , वो मुझे दे दो । यह सुनकर सेठ जी सन्न रह गया और बोले - महाराज आप क्या करेंगे इस माला का । साधु बोला - तुम्हे अपने दुख का निवारण चाहिए न ...?? पहले तुम दो , फिर तुम्ही देख लेना क्या करता हूं क्या नहीं ।

सेठ ने रत्न से जड़ित माला साधु जी को दे दी । साधु ने उस माला को अच्छे से परखा कीमती बहुत थी । उस कीमती माला को पास में बैठे एक गरीब व्यक्ति को दे दी । यह देखकर सेठ को गुस्सा आया लेकिन बस चुपचाप देखता रहा । वो गरीब व्यक्ति रत्न जड़ित माला पाकर किसी सोच में पड़ गया था , उसकी मनोदशा त्यों की त्यों ही बनी रही । साधु ने कहा अब तुम अपने अपने घर जाओ , 4 दिन बाद आना । ऐसा कहकर साधु जी अपने ध्यान में मग्न हो गए ।

अब सेठ के मन मे बार बार यही सवाल आता की आखिर मेरी रत्न जड़ित माला उस गरीब को क्यों दी " वह व्यक्ति तो मेरी माला पहनकर सब जगह घूमेगा । मैं अपनी चिंता के निवारण के लिए साधु के पास गया था , लेकिन अब मेरी कीमती माला मुझसे ले कर उल्टा उस साधु ने मेरी नींदे और चैन उड़ा रखा है " अब तो सेठ को रात में न नींद आती और ना ही कुछ काम मे मन लगता । वह दो दिन बाद ही बिना सोचे समझे उस गरीब व्यक्ति के घर गया औऱ अपनी कीमती माला मांगने लगा । गरीब व्यक्ति बोला - श्रीमान मेरे पास आपकी कोई माला नही है । यह सुनकर सेठ ने उसे - झूठा , चोर औऱ न जाने कितने ही अपशब्द कहे । फिर भी वह गरीब व्यक्ति यही कहता रहा कि मेरे पास आपकी कोई माला नही है । सेठ ने कहा ठीक है तुझे देख लूंगा , की कितना झूठ बोल पाता है क्योंकि साधु ने ही स्वयं के हाथों से तुझे वो माला दी थी । सेठ से रहा नही गया औऱ वो साधु के पास गया । साधु समझ गया था की सेठ यहां क्यों आया है ।
साधु ने कहा - कहो कैसे आना हुआ । मैने तो तुम्हे चार दिन बाद आने को कहा था , फिर दो दिन में कैसे आ गए आप । सेठ की आँखों से साफ जाहिर हो रहा था कि वो दो दिन से सोया नही है उस माला के चक्कर मे ।

सेठ बोला - मैं यह जानना चाहता था कि आपने मेरी वो कीमती माला उस गरीब को क्यों दे दी । साधु सारी बात पहले ही जानता था । उसने कहा - मैं जानता हूँ कि तुम २ दिनों से इसी बारे में सोच रहे हो , ओर ठीक से सो भी नही पाए । तुम उस कीमती माला के लिए परेशान हो । उस क़ीमती माला के लिए तुम उस गरीब व्यक्ति के पास गये औऱ उसने तुम्हे कीमती माला वापस नही दी । औऱ तुम उसे न जाने कितने ही अपशब्द बोलकर आये हो ।

सेठ ने साधु की बात काटते हुए कहा - और क्या करता उसे अपशब्द नही बोलता तो झूठ बोल रहा था , जबकि आपने ही तो उसे मेरे सामने मेरी कीमती माला उसे दी थी । अब उसके मन मे लालच आ गया है कीमती चीज को देखकर और सेठ साधु के सामने ही उस व्यक्ति को अपशब्द कहने लगा । तभी साधु ने कहा - वो गरीब व्यक्ति झूठ नही बोल रहा , उसके पास तुम्हारी कीमती माला नही है । यह सुनकर सेठ चौककर बोला - लेकिन कल तो आपने उसे मेरे सामने ही कीमती माला दी थी, अगर उसके पास नही है तो कहा है मेरी कीमती माला ?

साधु ने कहा - हा! मैने कीमती माला उस गरीब को दी थी , लेकिन आश्रम से जाते वक्त वह कीमती माला उस व्यक्ति ने मुझे यह कहते हुए वापस कर दी कि यह माला मेरे किसी काम की नही है । क्योंकि घर पर लेकर जाऊंगा तो इसे देखकर सभी सवाल करेंगे , उन्हें लगेगा मैंने कही चोरी की है , सभी का मन होगा इस माला को पहनने का , मुझे भी डर रहेगा इस माला के चोरी होने का । इस माला के चक्कर मे घर मे अशान्ति का माहौल बन जायेगा । हर वक्त मन मे अशान्ति रहेगी , मैं इस माला के चक्कर मे अपने घर औऱ मन की शांति को भंग नही करना चाहता । मैं खुश हूँ बिना किसी की अपेक्षाओं के , इसलिए क्षमा चाहता हूँ मैं आपसे यह कीमती माला नही ले सकता और उसने ये माला यही छोड़ दी ।

साधु की बात सुनकर सेठ को एकदम धक्का सा लगा । वह साधु के पैर पकड़कर माफ़ी मांगने लगा । तब साधु ने कीमती माला देते हुए कहा - उस व्यक्ति के पास कुछ भी ना होते हुए भी सबसे बड़ी चीज है मन की शान्ति , क्योंकि उसको पता है आज कीमती माला के चक्कर मे फंसकर कल उसका मन कुछ और पाने की इच्छा करेगा । इसलिए उसने अपनी इच्छाओं को सीमित और जीवन मे धैर्य व धीरज से काम लेना सीख लिया है ।

जबकि उपलब्धि के नाम पर तुम्हारे पास " कोठी , कार , बैंक - बैलेंस सब कुछ है , लेकिन शांति नहीं है , क्योंकि तुम में धैर्य नही है । घमंड , मोह - माया , लोभ क्रोध को बढ़ाकर अशांति को हमने स्वयं ही जन्म दिया है । जितने हम भोग विलास के जीवन व्यतीत करेंगे उतनी ही अधिक अशान्ति रहेगी । मेरे कहने से या कुछ भी करने से तुम्हे शांति नही मिल सकती तुम्हे स्वंय ही इसका हल खोजना होगा "

सेठ जी साधु की बात समझ चुका था , सेठ ने साधु से क्षमा मांगी और उस गरीब से भी क्षमा मांगी और साधु से कहा आप ने ये सब मुझे समझाने के लिए कहा , लेकिन मैं अज्ञानी ये बात नही समझ पाया , की " मन कि शांति " हमारे खुद के भीतर होती है , इसे कही खोजने की जरूरत नही ।

ममता गुप्ता (मौलिक व स्वरचित)
अलवर राजस्थान

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Gita Parihar

Gita Parihar 4 years ago

धैर्य और संतोष सबसे बड़े गुण हैं, जिसने पा लिया, धन्य हो गया।

Sarla Mehta

Sarla Mehta 4 years ago

मन की शान्ति मन में ही छुपी है

Sagar A

Sagar A 4 years ago

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