Help Videos
About Us
Terms and Condition
Privacy Policy
सर्दी - शशि कांत श्रीवास्तव श्रीवास्तव (Sahitya Arpan)

कविताअतुकांत कविता

सर्दी

  • 260
  • 4 Min Read

#सर्दी ---/07-09-2020
*******************-
सर्दी के इस नर्म मौसम में
सुबह सुबह..,
नर्म ओस पर घूमना
उतना ही अच्छा लगता है,
जितना कि,
पत्तों से छन कर आती हुई
नर्म -नर्म धूप की गर्मी का
वो अहसास,
मन को गर्म कर जाता है ,
सर्दी के इस नर्म मौसम में |
ओस से ये भीगी हवायें,
जब -जब,
चूमती हैं कपोलों को तुम्हारे ,
तब -तब ,
उसके सिहरन की शिकन
उभर आती थी,
तुम्हारे -इन आँखों में,
वहीं..,
जब ये सहलाती हैं हौले हौले
केशों को तुम्हारे ,
और जाते जाते
छोड़ जाती हैं ये बूंदें मोती के,
केशों पर और अधरों पर -जो
इन रश्मियों के प्रकाश में
स्वर्ण और रजत मुक्ता सी
प्रतीत होती हैं ....,
सर्दी के इस नर्म मौसम में ||

शशि कांत श्रीवास्तव
©स्वरचित मौलिक, रचना
22-09-2020

logo.jpeg
user-image
Sarla Mehta

Sarla Mehta 3 years ago

बढ़िया

शिवम राव मणि

शिवम राव मणि 3 years ago

सुंदर आदरणीय

वो चांद आज आना
IMG-20190417-WA0013jpg.0_1604581102.jpg
तन्हाई
logo.jpeg
प्रपोजल
image-20150525-32548-gh8cjz_1599421114.jpg
माँ
IMG_20201102_190343_1604679424.jpg