स्वतंत्र लेखन
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London is the capital city of England.
कविताअतुकांत कविता
"तुम क्यों शोक मनाते हो? "
साथी ,देखो
तो --कैसे ,
निशा ले रही है अंगड़ाई
होने को विदा धरा से-अब ,
सुमनों ने भी साथ है छोड़ा
अपनी-अपनी वल्लरियों का ,
कुछ तारों ने भी साथ है छोड़ा
अंबर के आँगन का ,
पर ,किसी
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कविताअतुकांत कविता
*काव्य रचना : अपनी श्रेष्ठ संग्रह मे से एक रचना ...,*
*आंसुओं को पनाह नहीं मिलती*
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यह सच है --कि
उनको पनाह नहीं मिलती
इस जहान में...
कब और कहाँ --आ जाये
पता नहीं
सहारा मिले या नहीं
एकांत हो या नहीं
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कवितालयबद्ध कविता
मूक -निमंत्रण
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निशा दे रही है मूक -निमंत्रण
निस्तब्धता छा रही चहुँ ओर,
तारे भी थक कर सो रहे हैं,
चाँद भी चला बादलों की ओट,
निशा दे रही है मूक -निमंत्रण |
शबनम के मोती बिखरे हैं,
चम्पा और बेला
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कवितालयबद्ध कविता
*जिज्ञासा पुष्प की*
****************
जिज्ञासा वश पुष्प ने पूछा बनमाली से
हे ,बनमाली,
हुआ...,क्या !
जो ,हम आज इस पथ पर बिछाये गये हैं |
कौन है -आने वाला ?
इस पथ पर -आज ,
क्या ,कोई महान व्यक्ति आने वाला है,
या ,फिर किसी
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कवितालयबद्ध कविता
मेरी कलम से...,
#उदास_राहें
*************
सूनी -सी ,उदास ये राहें
दीखती हैं दूर तलक
अंतहीन छोर तक |
सूनी -सूनी अँखियों से
निहारूं हर रोज़ ,
जब से गये उस राह से तुम |
ढूंढ़ती है अक़्स तुम्हारा
लिये अश्रु मोती नयनों
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कविताअतुकांत कविता
*शून्य_से_शिखर*
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शून्य से शिखर तक
सफर जारी है ,
संकल्प और इच्छा शक्ति की
उड़ान के संग ,
ये नीला व्योम है बादलों के संग
या ..,
नीला सागर जो ऊँची लहरों संग
पर्वत की ऊंचाई को नाप रहा है
शून्य से शिखर
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