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Sahitya Arpan - शशि कांत श्रीवास्तव श्रीवास्तव
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शशि कांत श्रीवास्तव श्रीवास्तव

वास्तव श्री

स्वतंत्र लेखन
लेखक

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  • कविताअतुकांत कविता

    तारे

    • Edited 3 years ago
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    • 136
    • 3 Mins Read

    *तारे*
    काली -काली अँधियारी रातों में
    आकाश भरा है तारों से,
    कुछ तारे हैं छोटे -छोटे
    कुछ तारे हैं बड़े -बड़े से,
    कुछ चमचम करके चमक रहे हैं
    कुछ जुगुनू की मानिंद टिमटिमा रहे हैं,
    कालीअँधियारी रातों में,
    आकाश
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    तारे ,<span>अतुकांत कविता</span>
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    Ankita Bhargava

    Ankita Bhargava 3 years ago

    बहुत सुंदर

    कवितालयबद्ध कविता

    आँसू

    • Edited 3 years ago
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    • 131
    • 2 Mins Read

    *आँसू*
    ********
    ये झील सी नीली आँखें
    बोझिल सी...,
    सूनापन लिए,
    थकी हुई सी थी,
    जो..,
    डूबी हुई थी
    यादों के भवंर में गहरे तक,
    अचानक,
    एक टीस -सी उभरी अंतस से
    और ,
    छलक पड़ी बूंद आँसू बनकर
    इन झील सी नीली आँखों से ||

    शशि कांत
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    आँसू ,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    शिवम राव मणि

    शिवम राव मणि 3 years ago

    खूबसूरत

    कविताअतुकांत कविता

    आँसू

    • Edited 3 years ago
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    • 150
    • 2 Mins Read

    *आँसू*
    ********
    ये झील सी नीली आँखें
    बोझिल सी...,
    सूनापन लिए,
    थकी हुई सी थी,
    जो..,
    डूबी हुई थी
    यादों के भवंर में गहरे तक,
    अचानक,
    एक टीस -सी उभरी अंतस से
    और ,
    छलक पड़ी बूंद आँसू बनकर
    इन झील सी नीली आँखों से ||

    शशि कांत
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    आँसू ,<span>अतुकांत कविता</span>
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    कविताअतुकांत कविता

    मीत -मेरे

    • Edited 3 years ago
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    • 184
    • 4 Mins Read

    मीत_मेरे
    *********
    आओ प्रिये,
    चलो..,चलें कहीं दूर --प्रिये
    जी लें कुछ पल जीवन के,
    सुकून से ,
    जहाँ ना हो कोई बंधन और
    ना हो कोई आपा धापी,
    बस केवल हों हम और तुम ,
    आओ प्रिये चलो...., चलें |
    दूर गगन के उस पार चलें
    जहाँ
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    मीत -मेरे ,<span>अतुकांत कविता</span>
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    Ankita Bhargava

    Ankita Bhargava 3 years ago

    सुंदर

    शिवम राव मणि

    शिवम राव मणि 3 years ago

    वाह सर बहुत ही प्रेम से भरी कविता

    कविताअतुकांत कविता

    तुम क्यों शोक मनाते हो?

    • Edited 3 years ago
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    • 94
    • 2 Mins Read

    "तुम क्यों शोक मनाते हो? "

    साथी ,देखो
    तो --कैसे ,
    निशा ले रही है अंगड़ाई
    होने को विदा धरा से-अब ,
    सुमनों ने भी साथ है छोड़ा
    अपनी-अपनी वल्लरियों का ,
    कुछ तारों ने भी साथ है छोड़ा
    अंबर के आँगन का ,
    पर ,किसी
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    तुम क्यों शोक मनाते हो? ,<span>अतुकांत कविता</span>
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    कविताअतुकांत कविता

    आँसुओं को पनाह नहीं मिलती

    • Edited 3 years ago
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    • 146
    • 4 Mins Read

    *काव्य रचना : अपनी श्रेष्ठ संग्रह मे से एक रचना ...,*

    *आंसुओं को पनाह नहीं मिलती*
    ***************************
    यह सच है --कि
    उनको पनाह नहीं मिलती
    इस जहान में...
    कब और कहाँ --आ जाये
    पता नहीं
    सहारा मिले या नहीं
    एकांत हो या नहीं
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    आँसुओं को पनाह नहीं मिलती ,<span>अतुकांत कविता</span>
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    कवितालयबद्ध कविता

    मूक -निमंत्रण

    • Edited 3 years ago
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    • 125
    • 4 Mins Read

    मूक -निमंत्रण
    ************
    निशा दे रही है मूक -निमंत्रण
    निस्तब्धता छा रही चहुँ ओर,
    तारे भी थक कर सो रहे हैं,
    चाँद भी चला बादलों की ओट,
    निशा दे रही है मूक -निमंत्रण |
    शबनम के मोती बिखरे हैं,
    चम्पा और बेला
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    मूक -निमंत्रण ,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    Poonam Bagadia

    Poonam Bagadia 3 years ago

    सुंदर रचना सर जी..!

    कवितालयबद्ध कविता

    जिज्ञासा पुष्प की

    • Edited 3 years ago
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    • 261
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    *जिज्ञासा पुष्प की*
    ****************
    जिज्ञासा वश पुष्प ने पूछा बनमाली से
    हे ,बनमाली,
    हुआ...,क्या !
    जो ,हम आज इस पथ पर बिछाये गये हैं |
    कौन है -आने वाला ?
    इस पथ पर -आज ,
    क्या ,कोई महान व्यक्ति आने वाला है,
    या ,फिर किसी
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    जिज्ञासा पुष्प की ,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    कविताअतुकांत कविता

    सर्दी

    • Edited 3 years ago
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    • 185
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    #सर्दी ---/07-09-2020
    *******************-
    सर्दी के इस नर्म मौसम में
    सुबह सुबह..,
    नर्म ओस पर घूमना
    उतना ही अच्छा लगता है,
    जितना कि,
    पत्तों से छन कर आती हुई
    नर्म -नर्म धूप की गर्मी का
    वो अहसास,
    मन को गर्म कर जाता है ,
    सर्दी
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    सर्दी ,<span>अतुकांत कविता</span>
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    Sarla Mehta

    Sarla Mehta 3 years ago

    बढ़िया

    शिवम राव मणि

    शिवम राव मणि 3 years ago

    सुंदर आदरणीय

    कविताअतुकांत कविता

    सर्दी

    • Edited 3 years ago
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    • 66
    • 4 Mins Read

    सर्दी
    ******
    सर्दी के इस नर्म मौसम में
    सुबह सुबह..,
    नर्म ओस पर घूमना
    उतना ही अच्छा लगता है,
    जितना कि,
    पत्तों से छन कर आती हुई
    नर्म -नर्म धूप की गर्मी का
    वो अहसास,
    मन को गर्म कर जाता है ,
    सर्दी के इस नर्म
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    सर्दी ,<span>अतुकांत कविता</span>
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    कवितालयबद्ध कविता

    उदास राहें

    • Edited 3 years ago
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    • 274
    • 4 Mins Read

    मेरी कलम से...,

    #उदास_राहें
    *************
    सूनी -सी ,उदास ये राहें
    दीखती हैं दूर तलक
    अंतहीन छोर तक |
    सूनी -सूनी अँखियों से
    निहारूं हर रोज़ ,
    जब से गये उस राह से तुम |
    ढूंढ़ती है अक़्स तुम्हारा
    लिये अश्रु मोती नयनों
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    उदास राहें ,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    Ankita Bhargava

    Ankita Bhargava 3 years ago

    वाह

    कविताअतुकांत कविता

    शून्य से शिखर तक

    • Edited 3 years ago
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    • 179
    • 3 Mins Read

    *शून्य_से_शिखर*
    ______________
    शून्य से शिखर तक
    सफर जारी है ,
    संकल्प और इच्छा शक्ति की
    उड़ान के संग ,
    ये नीला व्योम है बादलों के संग
    या ..,
    नीला सागर जो ऊँची लहरों संग
    पर्वत की ऊंचाई को नाप रहा है
    शून्य से शिखर
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    शून्य से शिखर तक ,<span>अतुकांत कविता</span>
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