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तन्हायी - Dipak Kumar (Sahitya Arpan)

कवितागीत

तन्हायी

  • 19
  • 5 Min Read

तुम्हें जब कभी हम दिखायी ना दे तो
समझ लेना किस्सा ख़तम हो गया है
कभी जब गली तेरी सूनी लगे तो
समझ लेना सूना चमन हो गया है

कभी जब हकीकत ये होगा फ़साना
तो चर्चे तुम्हारे बहुत यार होंगे
लोग देंगे तुम्हें नाम से मेरे ताने
ज़माना बड़ा बेशरम हो गया है

करी हमने तुमसे बड़ी मिन्नतें पर
कभी तुमने दिल की कहानी सुनी ना
बहुत अश्क़ मैंने बहाये लहू के
मगर राह मैने तो दूजी चुनी ना
सच्ची मोहब्बत थी जालिम हमारी
तेरे नाम पे दिल दफन हो गया है

ज़माने में आशिक मिलेंगे हजारो
मगर मुझसा सच्चा ना साथी मिलेगा
बहारो की कलियाँ ये जो खिल रही है
मेरे बाद तुमको वीराना मिलेगा
बड़ा सख़त है ये लहज़ा तुम्हारा
ना जाने तुम्हें क्या भरम हो गया है

दिल कभी जब किसी से लगाया ये होता
दिल दुखाने से पहले तेरा दिल ये रोता
तस्सवुर में भी बेवफाई न करते
अगर आशियाना बशाया जो होता
तेरे आँखे मुझको बता ये रहीं है
की दिल से तेरे अब रहम खो गया

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